वो कौन है जो कौम को बदनाम कर रहे
इंसानियत के सर पे गुनाह का ताज रख रहे।
इंसानियत के सर पे गुनाह का ताज रख रहे।
वो ना हिन्दू है और ना ही मुसलमान ही है वो
इंसानियत को रोज जो जर्जर नीलम कर रहे।
चढ़ा दो उनको सूली पे काट हाथ पैर
बहन बेटियो पे जुल्म जो सारे आम कर रहे।
बहन बेटियो पे जुल्म जो सारे आम कर रहे।
कुर्ता जिनको प्यार है तिरंगे के दाम से
ऐसे नेताओं को भगाओ इस जहान से।
राष्ट्र को बेच बेच जो नित है खा रहे
झुटे भाषणों से है वो दिल बहला रहे।
झुटे भाषणों से है वो दिल बहला रहे।
देश उनको प्यारा है हर पल दिखा रहे
आवाम को जो भूखे रातो सुला रहे।
देश मे कमी नही जरा भी अन्न धन की
किसानों को जो भूखा फांसी चढ़ा रहे
ये इतने सच्चे ईमानदार है मुझे आता नही समझ
यहाँ पेट भरना है मुश्किल इनके खाते बढ़े जा रहे
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