अजय सिंह ताज.... लेखक
आज मैं आपसे बात करना चाहता हूं कि आजकल के जमाने में बहुत बुरा हाल हो गया है खासकर उन हॉस्पिटल में जहां गरीबों की कोई सुनवाई नहीं। बात यहां तक आ गई है कि गरीब आदमी बहुत ज्यादा बेबस हो गया है, इन सरकारी हॉस्पिटल में।
प्राइवेट हॉस्पिटल में तो गरीब आदमी बिल्कुल भी इलाज नहीं करवा सकता अगर गलती से वो गरीब पेशेंट अगर प्राइवेट हॉस्पिटल में चला भी जाता है तो जितना भी पैसा होता है उसके पास वह सारा गरीब की बीमारी में लग जाता है लेकिन फिर भी गरीब इंसान पूरा ठीक नहीं होता क्योंकि उसके बाद पैसा नहीं बचता, पैसा ना होने के कारण उसको सरकारी हॉस्पिटल में ही जाना पड़ता है....
प्राइवेट हॉस्पिटल में तो गरीब आदमी बिल्कुल भी इलाज नहीं करवा सकता अगर गलती से वो गरीब पेशेंट अगर प्राइवेट हॉस्पिटल में चला भी जाता है तो जितना भी पैसा होता है उसके पास वह सारा गरीब की बीमारी में लग जाता है लेकिन फिर भी गरीब इंसान पूरा ठीक नहीं होता क्योंकि उसके बाद पैसा नहीं बचता, पैसा ना होने के कारण उसको सरकारी हॉस्पिटल में ही जाना पड़ता है....
एक छोटी सी बात बताना चाहता हूं कुछ दिनों पहले ही किसी दोस्त के दोस्त का मुझे फोन आया कि उसकी मां पी जी आइ हॉस्पिटल चंडीगढ़ में बीमार है, 2 दिनों से वार्ड में एडमिट है लेकिन आज रात 9:30 बजे डॉक्टर साहब बोल रहे हैं उस बीमार मां के परिवार को कि इस औरत को कैंसर है और आप घर ले जाइए इन्हें !
सुबह आप कैंसर ओपीडी वार्ड में कैंसर डॉक्टर से चेकअप करवाइए और फिर कैंसर वार्ड में इस महिला को शिफ्ट कर दिया जाएगा, यह सारी बात, यह सारी दास्तान मेरे दोस्त के दोस्त ने मुझे फोन पर बताई बड़ा ताज्जुब हुआ की सरकारी हॉस्पिटल में ऐसा हाल हो गया है कि रात को 9:30 बजे डॉक्टर यह बोलकर उस महिला को जर्नल वार्ड से छुट्टी दे रहे हैं कि उनके पास कैंसर का इलाज ही नहीं है सुबह आप जनरल वार्ड में डॉक्टर को दिखाकर कैंसर वार्ड में सेट करवा देना।
हमें जनरल वार्ड में एक बेड खाली करवाना है इसलिए आपको जाना पड़ेगा यह सारी बात सुनकर मुझे बड़ा ज्यादा गुस्सा आया और मैंने दोस्त को बोला जो भी डॉक्टर है उससे मेरी एक बार बात तो करवाओ आखिर मैं देखता हूं कौन डॉक्टर उस भी बीमार महिला को रात 9:30 बजे कैसे घर भेज रहा है।
उस दोस्त ने डॉक्टर से बहुत बार कहा की प्लीज सर आप अजय सिंह ताज एक सोशल वर्कर है उससे बात कीजिए वह लाइन पर हैं लेकिन डॉक्टर ने साफ साफ मना कर दिया तीन चार बार लड़के ने डॉक्टर को बार-बार कहा कि प्लीज सर एक बार बात तो कीजिए।
लेकिन डॉक्टर यही बोलता रहा कि हम सरकारी ड्यूटी पर हैं, हमारे पास टाइम नहीं किसी से बात करने का।
तब मैं सब सुन रहा था तो फोन पर फिर मैंने दोस्त को बोला कि तुम एक बार स्पीकर फोन ऑन करके अपने फोन का डॉक्टर के पास ले जाकर बात करवाओ जब उसने स्पीकर फोन ऑन करके डॉक्टर के पास जाकर फोन रख दिया तो मैंने कहा डॉक्टर साहब मैं अजय सिंह ताज एक छोटा सा सोशल वर्कर हूं, गरीब दुखी लोगों की मदद करता हूं जहां तक हो सके, बाकि यह कहां लिखा हुआ है कि अगर पेशंट बीमार है तो उसको सरकारी हॉस्पिटल में रात को 9:30 बजे बेड खाली करवाने को कहा जाता है अगर पेशेंट को बाहर कुछ हो गया तो इसके जिम्मेदार आप होंगे।
आपकी और आपके सीनियर डॉक्टर की क्लास तो मैं कल सुबह लगाऊंगा चाहे हेल्थ मिनिस्ट्री को आपकी कंप्लेंट ना करनी पड़े।
यह सब बातें सुनकर डॉक्टर ने लड़के को इशारा किया और दोस्त ने फोन कट कर दिया मैं फोन का वेट करता रहा लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिला मुझे।
फिर उसके बाद मैंने फोन किया लड़के ने बस इतना कहा कि भैया वेट करो मैं बाद मे कॉल करता हूं, बाद में करीब 2 घंटे बाद दोस्त का फोन आया और उसने कहा आपकी सारी बातें सुन कर डॉक्टर ने किसी सीनियर डॉक्टर को फोन किया और आनन फानन में मेरी मां को अच्छी ट्रीटमेंट दे दि और उन्होंने यही रुकने को कह दिया और सुबह ही हम ओपीडी कैंसर वार्ड में चले जाएंगे यह, शुक्रिया ताज भाई।
अब यह सब आपसे शेयर करना चाहता हूं आखिर कैसा हाल हो गया है हमारे सरकारी हॉस्पिटलों में, गरीब दुखी लोग बेबस हो चले हैं, उनकी कोई सुनवाई नहीं।
अमीर लोग तो किसी तरह लिंक बनाकर अपना काम निकलवा लेते हैं, लेकिन मेरे जैसे गरीब लोग देखते ही रह जाते हैं, सब देखकर सुनकर बहुत हैरानी होती है बहुत दुख भी होता है कि हमारे सरकारी हॉस्पिटल में डॉक्टर को पैसा तो मुंह मांगा मिलता है लेकिन प्रॉपर सुविधा नहीं मिलती पेशेंट को, ये सारा कसूर हमारी गवर्नमेंट हमारा डॉक्टर्स का है, अब मैं भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय से कहना चाहता हूं आखिर कब तक चलता रहेगा ऐसा.....
जवाब आप सब से भी जानना चाहता हूं।
लेखक... अजय सिंह ताज ....7837304195
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