मंगलवार, 27 जून 2017

कुछ अलग ही है बात तेरी

सुबह  तेरी, रात तेरी 
और दिन भर बात तेरी 
चाहता तो हु यादो को भी
पर कुछ अलग ही है बात तेरी... 
चाहत यही  दिन रात मेरी 
मिलने की बने तुमसे बात मेरी
कुछ ऐसे मिल जाए हम
मैं तेरा सावन,  तू बरसात मेरी 
कुछ अलग ही है बात तेरी... 
जब मिलते है तो होठ सिले
कुछ भी न हो पाए बात मेरी
बस यूँही आँखों से आँखे  मिले 
क्या इससे भली थी याद तेरी 
 कुछ अलग ही है बात तेरी ...

- Satish Sikhwal 


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