मुद्दतों बाद मुलाकात तुझसे हमें नसीब हुई
जब आँखों को तेरी पहली दफा सूरत दिखी
तो अंग-अंग में मेरे हलचल हुई
वो तेरा बेझिझक बात करना
वो तेरी कातिल आँखों का चश्में के पहरे में रहना
और वो तेरा मेरा वजह-बेवजह बात करना
हमें खबर ही न हुई की कब तेरे-मेरे इस अजनबी और अनजाने रिश्ते की डोर दोस्ती में मुकम्मल हुई।
अदाएँ नहीं कुछ भी पर
इतनी हसीन तुम हो कि
हर बात तुम्हारी अदाओं में तब्दील हुई
शब्द बहुत हैं मेरे पास पर
तेरी तारीफ में आज न जाने कैसे
उनकी बोलती बंद हुई
इश्क नहीं तू मेरा और न ही
औरों की तरह मेरी नजरों में तेरी साधारण सी हस्ती हुई
तू तो न जाने क्यूँ मेरे लिये कुछ खाश और अजीजों से भी ज्यादा अजीज हुई
कई बार लोगो ने पूछा तेरे मेरे रिश्ते का नाम
और हर बार हम चुन ही न पाये दोस्ती और प्यार में से कोई एक जवाब
क्यूँकि हमें खबर ही न हुई की कब तेरे मेरे इस अजनबी और अनजाने रिश्ते की डोर बेहद खाश दोस्ती में मुकम्मल हुई।
Written By Ritika {Preeti} samadhiya .... Please Try To Be A Good Human Being....✍
जब आँखों को तेरी पहली दफा सूरत दिखी
तो अंग-अंग में मेरे हलचल हुई
वो तेरा बेझिझक बात करना
वो तेरी कातिल आँखों का चश्में के पहरे में रहना
और वो तेरा मेरा वजह-बेवजह बात करना
हमें खबर ही न हुई की कब तेरे-मेरे इस अजनबी और अनजाने रिश्ते की डोर दोस्ती में मुकम्मल हुई।
अदाएँ नहीं कुछ भी पर
इतनी हसीन तुम हो कि
हर बात तुम्हारी अदाओं में तब्दील हुई
शब्द बहुत हैं मेरे पास पर
तेरी तारीफ में आज न जाने कैसे
उनकी बोलती बंद हुई
इश्क नहीं तू मेरा और न ही
औरों की तरह मेरी नजरों में तेरी साधारण सी हस्ती हुई
तू तो न जाने क्यूँ मेरे लिये कुछ खाश और अजीजों से भी ज्यादा अजीज हुई
कई बार लोगो ने पूछा तेरे मेरे रिश्ते का नाम
और हर बार हम चुन ही न पाये दोस्ती और प्यार में से कोई एक जवाब
क्यूँकि हमें खबर ही न हुई की कब तेरे मेरे इस अजनबी और अनजाने रिश्ते की डोर बेहद खाश दोस्ती में मुकम्मल हुई।
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