रविवार, 4 जून 2017

प्रेम में हारी एक स्त्री की विरह वेदना


मेरा भी अरमान था कि........
मेरी मांग में भी भरा वो गहरा सिन्दूर होता।
मेरे माथे पर भी बिंदिया का वो चाँद की तरह चमकना होता।
मेरी नाक में भी नथनी का वो गुरुर भरा इठलाना होता।
मेरे होठों पर भी खिलता हुआ लालिमा का वो सुर्ख रंग होता।
मेरे गले में भी मंत्रो से बंधा वो पवित्र मंगलसूत्र होता।
मेरे कलाइयों में भी चूड़ियों का वो ख़ुश होकर खनकना होता।
मेरे हाँथो में भी मेहँदी का वो फूलों से भी ज्यादा महकना होता।
मेरी कमर पे भी बड़े ही घमण्ड से करधनी का वो मटकना होता।
मेरे पैरों में भी पायल का वो शोर मचा कर इधर - उधर यूँ बार-बार छनकना होता।
मेरे तन पर भी सजा सुहाग का वो लाल जोड़ा होता.....
मैने भी ये सारा श्रृंगार किया होता अगर तू मेरी किस्मत में होता अगर तू मेरी किस्मत होता।


Written By Ritika{Preeti} Samadhiya  ... Please Try To Be A Good Human Being...✍

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