सोमवार, 19 जून 2017

तेरे पास भी तो है



जिन्हें दिया है सब कुछ इस जहाँ के मालिक ने, चेहरे उनके उदास भी तो हैं |
जिनके पास है सिर्फ़ गम की सोगतें, जिंदगी उनके साथ भी तो है |

जिन्हें सब कुछ मिला है विरासत मैं, स्वबलमबी होने की लालसा/प्यास उनके पास भी तो है | 
जिनके पास नही हैं हाथ, नसीब उनके साथ भी तो है |


जिसने भर लिया समंदर को अपनी झोली में, एक बूँद उसकी प्यास भी तो है | 
जिनका कोई नही है इस जहाँ मैं , ईश्वर उनके साथ भी तो है|
वो जो जी रहे हैं दूसरो को दर्द दे कर , दिल उनके पास भी तो है |

वो जो जी रहें हैं “तन्हा हूँ मैं” से सोच कर, कोई ना कोई उनके साथ भी तो है |
वो जो जीते हैं एक वक्त की रोटी खा कर, कुछ ख़ुसी के पल उनके पास भी तो हैं |

वो साहिल जो छोड़ गया तुझे अकेला इस जिंदगी की मजधार मैं, 
तेरी यादों का एक झरोखा उसके साथ भी तो है |

वो पंछी जिसे मिली है सारी एशो आराम पिंजरे मैं रह कर,
पर आज़ादी की कूशबू की आस उसके पास भी तो है |

ए खुस मिज़ाज मोसम… वो जो बेथे हैं काँच क महलो मैं दूर कहीं,
तेरी खूबसूरती को देखने की प्यास/जिगयासा उनके साथ भी तो है|

वो जो कहतें हैं सिर्फ़ खुशियाँ मिली हैं मुझे इस जहाँ से,
उस सफेद झूंठ से बना एक लीवास तेरे पास भी तो है |

वो कुछ कच्चे मन जो रहतें हैं नाकामियों को गले लगा कर,
कुछ सफलताओं की गठरियाँ उनके साथ भी तो हैं |

फिर तू क्यूँ बेठा है इस अंधेरे कमरे मैं सहमा सा,
तारों की कुछ चमक तेरे पास भी तो है |

फिर तू क्यूँ है भटकता प्यास लिए मन मैं,
इस मीठी बारिश की छम-छम तेरे साथ भी तो है |

तो दुनिया जंगल ज़रूर है पर ये देखने वाले पर है… 
की वो क्या देखना चाहता है इसकी खूबसूरती या वीरानापन… 

नमस्ते...
                                                                                                             -संतोष कुमार प्रजापति



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