गुरुवार, 8 जून 2017

मौत (कल किसने देखा है )

अजय सिंह ताज.... 7837304195

 आज एक बात दिल में घूम रही है ,आप सबसे शेयर करना चाहता हूं। 

लोग कहते हैं कि चार दिन की चांदनी फिर वही अंधेरा, काली रात।  जिंदगी जिओ जी भर के, कल किसने देखा है। 
 जो लोग ऐसी बातें करते हैं, वो मेरे ख्याल से कहीं ना कहीं मौत से डरते हैं और मौत के आने से पहले जीना चाहते हैं, मौत का डर कहीं ना कहीं उन लोगों के दिल में बसा हुआ है और यही मौत का डर उन्हें  यही बुलवाता है की, जी लो जी भर के कल किसने देखा है। ......

 मानता हूं कि यह बात कुछ हद तक सही है कि कल किसने देखा है, पर मौत के डर की वजह से अगर जीना चाहो तो यह गलत है, फिर तो इंसान हर एक दिन उलझन में रहेगा, प्लास्टिक स्माइल, बिना सकून के दुनियादारी में यही  कहेगा की, जियो जी भर के कल किसने देखा है। कल किसने देखा को लेकर इंसान खुद झंझटों,परेशानियों में ही रह जाता है। 

जीना उसे कहते हैं जो बिना किसी डर के जिया जाए, स्कून भरी जिंदगी इसे कहते हैं, वरना बातें तो हजार बनती हैं। 

एक बात और बताना चाहता हूं मैं कि एक बच्चे की जब मौत होती है तो लोग उसे जलाते नहीं बल्कि दफनाते हैं, क्योंकि उस बच्चे में रब बसा हुआ होता है, उसने इस रंग बिरंगी दुनिया को कभी देखा नहीं और ना ही इस रंग बिरंगी दुनिया में रंगा हुआ था और जब कोई इंसान दुनियादारी में आ जाता है तो वो रब कभी भी नहीं बन सकता, इसलिए उस नवजात बच्चे को लोग दफ़्नाते हैं ताकि उस मिट्टी में मिल कर वह बच्चा जिसमें अभी रब बसा हुआ है उस मिट्टी के जरिए दुनिया में अपना  ज्ञान फैलाये। 

 बाकी जियो जी भरकर पर स्कून भरी जिंदगी के साथ, मौत के डर का नाम अपने दिमाग से हटा दो, बड़े से बड़ा महापुरुष संत लोग भी इस मौत के सामने झुक गए, हम तो एक आम इंसान हैं। 

 बाकी जीना झूठ है और मरना एक सच्चाई है, जिसे कभी टाला नहीं जा सकता। 

 खुश रहो दोस्तों .....

दुनिया में आए हो तो ऐसा काम करो कि लोग मरने के बाद भी आपका नाम याद रखें ...... | 

अजय सिंह ताज 
7837304195
लुधियाना




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