बुधवार, 21 जून 2017

वृद्ध आश्रम....




दिल की बात... वृद्ध आश्रम....

अभी एक दिन पहले ही मेरे एक जानकार मुझे एक वृद्ध आश्रम ले गये, वहां बहुत ही बूढ़े इंसान थे, जो बड़े-बड़े घरों से तालुक रखते थे, उन सभी से मिला मैं, दिल अंदर ही अंदर से रो रहा था तब, जब उनकी बातें सुन रहा था, कोई डॉक्टर था तो कोई टीचर तो कोई किसी इंडस्ट्री का मालिक था, जो इस वृद्ध आश्रम में रह रहे हैं। 
कैसी है ज़िन्दगी यारों, बच्चे अपने मां-बाप को भुलाकर उन्हें  वृद्ध आश्रम में छोड़ जाते हैं, उन्हें घर से निकाल देते हैं, शर्म आनी चाहिए उन सब बच्चों को। ...... 
मां-बाप अपने बच्चों के लिए क्या कुछ नहीं करते, मां बाप अपनी पूरी जिंदगी बच्चों की खुशी के लिए, बच्चों की जरूरतें  पूरी करते हैं, उनको आंच तक नहीं आने देते, लेकिन मां-बाप को क्या पता कि आने वाले समय में वही बच्चे उनको घर से ही  निकाल देंगे।  

मेरे ख्याल से मां बाप को अगर पता भी चल जाए आने वाले समय में क्या होने वाला है, कि उनके बच्चे उनको घर से निकाल देंगे और उन्हें मजबूरन वृद्ध आश्रम रहना पड़ेगा, तो भी मां बाप अपने बच्चों के बेहतरी के लिए ही सोचेंगे, उनकी खुशी ही  देखेंगे, मां-बाप का दिल बहुत बड़ा होता है, बच्चे कैसे भी हों उनके लिए सबसे बेहतर हैं, हीरा हैं हीरा.... 

अनमोल हीरा। 

बाकि कुछ कर्मों का लेखा जोखा भी कह सकते हैं हम, जिन बूढ़े मां बाप को बुढ़ापे में उनके बच्चों का प्यार नहीं मिलता, बाकी बहुत ही दुख होता है जब सब कुछ होने के बावजूद भी मां बाप को एक वृद्ध आश्रम में रहना पडता है। 

करनी भरनी सब इसी जन्म में मिलती है, जो कोई भी अपने मां-बाप को वृद्ध आश्रम जाने को मजबूर कर देता है, तो वह लोग यह शायद भूल जाते हैं कि उनके भी बच्चे हैं, आने वाले समय में उनका भी यही हाल होगा, जैसे अपने मां-बाप का उन लोगों ने किया। 

 कितना बड़ा  दिल पर पत्थर रखकर मां बाप अपने बच्चों के बिना किसी ऐसी जगह रह रहे होते हैं जो की एक रेन बसेरा है यानी कि वृद्ध आश्रम, कुछ कानून ऐसे भी भारत सरकार ने बनाए हैं कि मां-बाप कानूनी लड़ाई लड़कर जमीन-जायदाद बच्चों से वापस ले सकते हैं।  लेकिन मेरे ख्याल से कोई भी मां-बाप ऐसा नहीं करना चाहता, हमेशा हर एक मां बाप अपने बच्चों को खुश देखना चाहते हैं, भला मां बाप कैसे अपने बच्चों को कोर्ट कचहरी के चक्करों में डाल सकते हैं, उन्हें तो बस अपने बच्चों की खुशी  ही चाहिए, वृद्ध आश्रम में रहकर भी मां बाप अपने बच्चों के लिए रब से उनकी सलामती के लिए दुआ ही करते हैं।  

शायद ही यह सब बातें हैं उन मां बाप के बच्चे ना समझ सकें। 

 बाकी शर्म आनी चाहिए उन बच्चों को, उन लोगों को जिनके मां बाप  वृद्ध आश्रम में रह रहे हैं, कुछ तो सोचो कुछ तो समझो, मां बाप के बिना जिंदगी अधूरी है, कभी उन लोगों से पूछो जिनके मां बाप इस दुनिया में नहीं हैं, वह कैसे अपने मां बाप को याद करते हैं, और क्या आप इतने बुझदिल हो गए हैं कि अपने माँ बाप को ही वृद्ध आश्रम जाने को मजबूर कर दिया। 

 शर्म करो । 

 बाकी मां बाप को वृद्ध आश्रम तो भेज देते हो आप उनकी जायदाद पर  हक तो  हो जाता है आपका, आपकी शानो-शौकत तो बढ़ जाती है, लेकिन पीठ पीछे आप सभी की बुराई, ही होती है, यह तो समझो आप, आप जैसे लोगों की बातें करते हैं कि बच्चे अपने मां बाप की कदर नहीं करते, इज्जत नहीं करते, तो एेसे ही आप की पीठ पीछे तो लोग यही कहते होंगे की पैसों की वजह से मां बाप को ही जीते जी मार दि,या जो मां बाप का नहीं हुआ वह हमारा कैसे होगा। 

भले ही लोग आपके सामने आपका गुणगान करते होंगे लेकिन कोई ऐसा इंसान नहीं होगा जो आपकी पीठ पीछे आपको जूते ना मारता हो। 

 अकल करो ,समझ करो, शर्म करो

अपने  मां बाप की इज्जत करना सीखो और वृद्ध आश्रम में रह रहे आपके मां बाप अब  जिंदगी की आखरी दहलीज पर हैं, उनको वापस घर लाओ तभी आपकी इज्जत है, और  रब की नज़रों में भी आप साफ हो जाओगे, वरना जितना मर्जी तीर्थ कर लो, किसी धार्मिक स्थल पर जा कर नहा लो, दान-पुण्य कर लो, आपके पाप धुलेंगे नहीं ,जब तक आप के मां बाप किसी वृद्ध आश्रम में है। 

 आखिर में यही कहना चाहता हूं मैं ...... आदर करो अपने मां-बाप का, और उनकी इज्जत करो, उनका कहना मानो, उनको प्यार दो, वह पैसों के नहीं प्यार के भूखे हैं, एक बच्चा और एक बूढ़ा आदमी एक समान होता है, जैसे बच्चे की गलती को आप अनदेखा कर देते हो, वैसे ही एक बुजुर्ग इंसान की गलती को भी अनदेखा करो, एक बूढ़ा इंसान भी बच्चों जैसा हो जाता है। 

 बाकी खुश रहो सभी और मेरी बातों को एक बार अकेले में बैठ कर जरूर सोचना। 

आखिर में एक कहानी आप सबसे शेयर करना चाहता हूं मैं। 

 एक बार एक परिवार होता है, परिवार में मां बाप, दादा-दादी और मां-बाप का लड़का होता है, मां बाप बहुत ज्यादा प्यार करते हैं अपने बेटे को,और वही मां-बाप अपने घर में अपने बूढ़े मां बाप को खाना तक नहीं पूछते थे। 

 एक दिन जब आदमी और उसकी पत्नी कहीं बाहर किसी शादी में जा रहे थे तो वो अपने मां-बाप को कहते हैं की आप साथ वाले गांव में जाकर गुरुद्वारे में लंगर खा लेना, हम शादी पर जा रहे हैं, थोड़ा लेट हो जाएंगे, आज घर में खाना भी नहीं बनेगा। 

 उस आदमी के मां-बाप हंसकर बोलते हैं, बेटा आप और बहू और हमारा पोता शादी पर जाओ,वहां खूब हंसो, खाओ पियो आनंद करो। हम पास ही के गांव में जाकर गुरुद्वारे में लंगर खा आएंगे, हमारी फिक्र ना करो, बस आप खुश रहो। 

जब वह आदमी और उसकी पत्नी और उसका छोटा बेटा कार में जा रहे होते हैं तो उनका छोटा बेटा कहता  है .......मम्मी पापा जब मैं बड़ा  हो जाऊंगा तो मैं घर- अपना मकान किसी गुरुद्वारे के पास ही  बनाऊंगा, यहां गुरुद्वारा बिल्कुल पास हो। 

 यह सब बातें सुनकर मां बाप अपने बच्चे को पूछते हैं आखिर क्यों बेटा ......तो उनका बेटा बोलता है कि पापा जब मैं बड़ा हो जाऊंगा और कहीं शादी पर जाऊंगा अपने बीवी बच्चे को साथ लेकर, तो आपको इतनी दूर किसी गुरुद्वारे में  लंगर  खाना खाने नहीं जाने पड़ेगा, इसलिए घर के पास अगर गुरुद्वारा होगा तो आप आराम से वहां खाना खा सकोगे, इसलिए मैं घर वही बनाऊंगा यहां पास गुरुद्वारा हो यह सब बातें सुनकर मां बाप की बोलती बंद हो गई। 

लेखक... अजय सिंह ताज
 7837 30415 लुधियाना 


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