हक सारे तुम पे वारे
देख अँधियारे तुम छोड़ के भागे
खड़े रहे हम आखों में लेके उम्मीद के तारे
पर तुम कठोर से दया-भावना में ना झाँके
लेके दिल मे बेशुमार प्यार
चाहत का हाथों में गुलाब
मर-मिटने का जुवां पे इकरार
हम तुम पे अपना सब कुछ हारे
पर तुम ने कर हर दफा फरेबी इजहार
पहना कर मुझे बेवकूफी का खिताब
कर मुझसे झूठे वादे हजार
हमें मजबूर किया खाने को अंगारे............
बेशक तुम्हें ना था मलाल
ना था पसीजा दिल तुम्हारा एक भी बार
ना ही हुआ तुम्हें अपने किये का अहसास
पर हम भूले किये हुए तुम्हारे जुल्म सारे
क्यूँकि
हमने हक सारे तुम पे थे वारे
शिकायत करने का ना कोई ख्याल
क्रोध का कण भी ना आया कभी पास
ना ही दिल लाया बदले का जवाब
ऐसे हुए हम तुम पर इश्क में मारे
छोड़ा तुमने बीच मझधार
था ना तुम्हारे सिवा कोई मेरा मांझी ना ही था कोई पतवार
ना ही हैं अब भी जीवन में कोई जिसे ये जगह तुम्हारी देने को हो तैयार
ना जाने क्यूँ तुमसे ही करता रहता हैं फरियाद
लौट आओ तो जिंदगी लगे सितारों की सौगात
नहीं तो हैं ही ये तुम बिन रंगों की बौछार
करता रहे खुद से ही ये बातों में तुम्हें अपना और खुद को तुम्हारा खाश
लेकिन सच्चाई भी करती हैं इसका पीछा जैसे हो परछाईं का दूसरा अवतार
और दो पल की मुस्कुराहट जो तुम्हें सोचकर आती हैं कर जाती हैं उसे बर्बाद
फिर बहती हैं ये नैनों की जलधार
चीर के कलेजा उठती हैं पीर और जम जाती हैं सदमे सी जिसे खुरचती हैं बीती यादें कईयों बार
मैं फिर भी साँसे लेती हूँ शायद हो जाये तुमसे आखिरी मुलाकात
तो सफल हो कर,सज कर चैन से छूट जाये मुझसे मेरे दर्द का संसार
कर तसल्ली का ध्यान,म्रत्यु से करू मैं आत्मसात
मिल जाये वचन मुझे ये गर ईश्वर से तुम्हें देंगे वो हर खुशी चाहें हो उसकी कीमत हीरे से भी अरबों गुनी पर होगी आसानी से तुम्हारे नाम
तो मंजूर हैं मुझे दर्दनाक लड़खड़ाती सांसों का भंडार
क्यूँकि तुम हो मुझे ईश से भी प्यारे
तुम हो मेरे लिये जग से न्यारे
इसलिये
हक सारे तुम पे थे वारे
हक सारे तुम पे हैं वारे
और
ये हक सारे तुम पर ही रहेंगें खुद को वारे।
Written By Ritika{Preeti} Samadhiya... Please Try To Be A Good Human Being....✍
देख अँधियारे तुम छोड़ के भागे
खड़े रहे हम आखों में लेके उम्मीद के तारे
पर तुम कठोर से दया-भावना में ना झाँके
लेके दिल मे बेशुमार प्यार
चाहत का हाथों में गुलाब
मर-मिटने का जुवां पे इकरार
हम तुम पे अपना सब कुछ हारे
पर तुम ने कर हर दफा फरेबी इजहार
पहना कर मुझे बेवकूफी का खिताब
कर मुझसे झूठे वादे हजार
हमें मजबूर किया खाने को अंगारे............
बेशक तुम्हें ना था मलाल
ना था पसीजा दिल तुम्हारा एक भी बार
ना ही हुआ तुम्हें अपने किये का अहसास
पर हम भूले किये हुए तुम्हारे जुल्म सारे
क्यूँकि
हमने हक सारे तुम पे थे वारे
शिकायत करने का ना कोई ख्याल
क्रोध का कण भी ना आया कभी पास
ना ही दिल लाया बदले का जवाब
ऐसे हुए हम तुम पर इश्क में मारे
छोड़ा तुमने बीच मझधार
था ना तुम्हारे सिवा कोई मेरा मांझी ना ही था कोई पतवार
ना ही हैं अब भी जीवन में कोई जिसे ये जगह तुम्हारी देने को हो तैयार
ना जाने क्यूँ तुमसे ही करता रहता हैं फरियाद
लौट आओ तो जिंदगी लगे सितारों की सौगात
नहीं तो हैं ही ये तुम बिन रंगों की बौछार
करता रहे खुद से ही ये बातों में तुम्हें अपना और खुद को तुम्हारा खाश
लेकिन सच्चाई भी करती हैं इसका पीछा जैसे हो परछाईं का दूसरा अवतार
और दो पल की मुस्कुराहट जो तुम्हें सोचकर आती हैं कर जाती हैं उसे बर्बाद
फिर बहती हैं ये नैनों की जलधार
चीर के कलेजा उठती हैं पीर और जम जाती हैं सदमे सी जिसे खुरचती हैं बीती यादें कईयों बार
मैं फिर भी साँसे लेती हूँ शायद हो जाये तुमसे आखिरी मुलाकात
तो सफल हो कर,सज कर चैन से छूट जाये मुझसे मेरे दर्द का संसार
कर तसल्ली का ध्यान,म्रत्यु से करू मैं आत्मसात
मिल जाये वचन मुझे ये गर ईश्वर से तुम्हें देंगे वो हर खुशी चाहें हो उसकी कीमत हीरे से भी अरबों गुनी पर होगी आसानी से तुम्हारे नाम
तो मंजूर हैं मुझे दर्दनाक लड़खड़ाती सांसों का भंडार
क्यूँकि तुम हो मुझे ईश से भी प्यारे
तुम हो मेरे लिये जग से न्यारे
इसलिये
हक सारे तुम पे थे वारे
हक सारे तुम पे हैं वारे
और
ये हक सारे तुम पर ही रहेंगें खुद को वारे।
Written By Ritika{Preeti} Samadhiya... Please Try To Be A Good Human Being....✍
Hit Like If You Like The Post.....
Share On Google.....
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
your Comment will encourage us......