पन्नों से मिलकर किताब बनती है और वही पन्ने अगर जल जाये तो राख बनती है।
कुछ इसी तरह की है ये जिंदगी
मिल गई मंजिल अगर, तो जन्नत सी लगती है और हार गई हर उम्मीद, तो जहनुम सी लगती है।
Written By Ritika {Preeti} Samadhiya.... Please Try To Be A Good Human Being...✍'
Read more by Ritika Samadhiya
मंजिल तो आज भी वही हैं
प्रेम में हारी एक स्त्री की विरह वेदना
Staus lines
इश्क की खुमारी
हक सारे तुम पे वारे
आज की आशिकी
कुछ इसी तरह की है ये जिंदगी
मिल गई मंजिल अगर, तो जन्नत सी लगती है और हार गई हर उम्मीद, तो जहनुम सी लगती है।
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मंजिल तो आज भी वही हैं
प्रेम में हारी एक स्त्री की विरह वेदना
Staus lines
इश्क की खुमारी
हक सारे तुम पे वारे
आज की आशिकी
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