क्यों बढ़ रहा है वैवाहिक जीवन में बिखराव ?
वैवाहिक जीवन में निरन्तर बढ़ रही बिखराव की घटनाओं ने न केवल प्रभावितों को अपितु समाज को भी चिंता में डाल दिया है। इससे केवल व्यक्ति, परिवार या समाज ही नही अपितु समग्र वातावरण भी दूषित होते जा रहा है ।
सर्वे बताते हैं कि अनेक परिवार बिखराव के भयानक दौर से गुजर रहे हैं । यदि समय रहते इस ओर ठोस पहल और सकारात्मक वातावरण निर्मित नही किया गया तो आने वाली पीढ़ी और समाज अनैतिकता , अराजकता के माहौल में दम घोंट देगा।
हम सब जानते हैं कि वैवाहिक बंधन परस्पर सामंजस्य और विश्वास से ही फलीभूत होता है। वातावरण , परिस्थितियां कैसी भी हों यदि पति -पत्नी में तालमेल है तो अनचाहे बिखराव को रोका जा सकता है। यही मूल निवारण भी है।
कारणों को देखगें तो - ये अनेक हो सकते हैं । हर स्थिति में अलग -अलग हो सकते हैं । कहीँ संयूक्त परिवार में इक्छाओं का दमन , कहीँ एकल परिवार की परेशानियां ,कहीं पीढ़ियों का वैचारिक टकराव , कहीँ दोनों का कामकाजी होना और कहीँ रूढ़िवादिता का विरोध तो कहीं अहम का टकराव या प्रेम सम्बन्धों का होना तो कहीं अतीत के अवसाद आदि अनेक कारण हैं जो परिवार के टूटने का कारण बनते हैं ।इनके विस्तार में , मैं नहीं जाऊंगा परंतु इन सबके पीछे एक दूसरे को कमतर आंकना ही प्रमुख कारण होता है । अलावा इसके मोबाइल का बढ़ता व्यक्तिगत प्रयोग और आभाषी दुनिया के मित्रों से सतत वार्ता/सम्पर्क ने भी शक का जो वातावरण निर्मित कर रखा है वह परिवारों के टूटने का कारण बनता जा रहा है। बस इन्हें ही ठीक करना होगा।
यदि हमने इन्हें समझ लिया और अपने में परिवर्तन कर लिया तो फिर बिखराव जैसी स्थितियां निर्मित नही होंगी ।
- देवेंन्द्र सोनी , इटारसी।
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