रविवार, 11 जून 2017

शायरी

झूठे थे कुछ इल्जाम और बेबुनियादी थी वो दलीलें,
छीन कर ले गए वो लोग हमसे जिनकी न थी वो जमीनें,
और रह गया एक कोने में दब कर वो सच,
जिसकी जगह न थी कि वो सीने में भी पल कर जी ले।

Written By Ritika{Preeti} Samadhiya.... Please Try To Be A Good Human Being....✍



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