शुक्रवार, 9 जून 2017

दुविधा

ना तुम्हें पाना हैं आसान
ना खोना हैं कठिन
इसी सोच में मैं टूट गई
कि क्या.........

तुम्हें ना चाहना हैं मुमकिन
ना तुम्हें रिझाना हैं सरल
ना मनाना हैं मुश्किल
इसी दुविधा में मैं तुमसे छूट गई
कि क्या.....

जरूरी हैं तुम्हें तुम्हारी इजाजत के खिलाफ करना हाँसिल।

Written By Ritika {Preeti} Samadhiya.... Please Try To Be A Good Human Being....✍




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