इश्क की खुमारी भी क्या कमाल कर गई
पल भर में अल्हड़ बचपन को जवानी के नाम कर गई
न सोचेंने कि मोहलत दी, न समझने का वक्त दिया
नादानी के कागज पर समझदारी का फरमान लिख गई
इश्क की खुमारी भी क्या कमाल कर गई
पलभर में अल्हड़ बचपन को जवानी के नाम कर गई
न पूछने का हक दिया,न जानने की ख्वाईश के पंख को उड़ने दिया
सवालो के सैलाब पर लायकी(ablity) का हाल रख गई
इश्क की खुमारी भी क्या कमाल कर गई
पल भर में अल्हड़ बचपन को जवानी के नाम कर गई
न खत भेजा,न कोई सन्देश दिया
बिन चिट्ठी तारों के अपना निश्चय भोलेपन सा थोपने का काम कर गई
इश्क की खुमारी भी क्या कमाल कर गई
पल भर में अल्हड़ बचपन को जवानी के नाम कर गई
न बताया, न जताया और न ही कारण का कोई शब्द और वाक्य रखा बस बेजुवान सी अपने मकसद का मुकाम चुन गई
इश्क की खुमारी भी क्या कमाल कर गई
पल भर में अल्हड़ बचपन को जवानी के नाम कर गई
न मौका दिया,न चुनाव की आस दी
न बोली,न ही कुछ कहा बस आँखों को पढ़कर भी बेबसी पर इंकार गई
इश्क की खुमारी भी क्या कमाल कर गई
पल भर में अल्हड़ बचपन को जवानी के नाम कर गई
कभी रास ना आई,कभी खीझ ले आई
कभी सावन,कभी भादों तो कभी सूखे का तापमान बन गई
इश्क की खुमारी क्या कमाल कर गई
पल भर में अल्हड़ बचपन को जवानी के नाम कर गई
Written By Ritika {Preeti} Samadhiya... Please Try To Be A Good Human Being...✍
पल भर में अल्हड़ बचपन को जवानी के नाम कर गई
न सोचेंने कि मोहलत दी, न समझने का वक्त दिया
नादानी के कागज पर समझदारी का फरमान लिख गई
इश्क की खुमारी भी क्या कमाल कर गई
पलभर में अल्हड़ बचपन को जवानी के नाम कर गई
न पूछने का हक दिया,न जानने की ख्वाईश के पंख को उड़ने दिया
सवालो के सैलाब पर लायकी(ablity) का हाल रख गई
इश्क की खुमारी भी क्या कमाल कर गई
पल भर में अल्हड़ बचपन को जवानी के नाम कर गई
न खत भेजा,न कोई सन्देश दिया
बिन चिट्ठी तारों के अपना निश्चय भोलेपन सा थोपने का काम कर गई
इश्क की खुमारी भी क्या कमाल कर गई
पल भर में अल्हड़ बचपन को जवानी के नाम कर गई
न बताया, न जताया और न ही कारण का कोई शब्द और वाक्य रखा बस बेजुवान सी अपने मकसद का मुकाम चुन गई
इश्क की खुमारी भी क्या कमाल कर गई
पल भर में अल्हड़ बचपन को जवानी के नाम कर गई
न मौका दिया,न चुनाव की आस दी
न बोली,न ही कुछ कहा बस आँखों को पढ़कर भी बेबसी पर इंकार गई
इश्क की खुमारी भी क्या कमाल कर गई
पल भर में अल्हड़ बचपन को जवानी के नाम कर गई
कभी रास ना आई,कभी खीझ ले आई
कभी सावन,कभी भादों तो कभी सूखे का तापमान बन गई
इश्क की खुमारी क्या कमाल कर गई
पल भर में अल्हड़ बचपन को जवानी के नाम कर गई
Written By Ritika {Preeti} Samadhiya... Please Try To Be A Good Human Being...✍
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