शनिवार, 17 जून 2017

हर जवान की पत्नी की कुछ यूँ जिंदगी ( हाल )


इंतजार में तुम्हारे शाम हो जाती है और बाट देखते-देखते आँखे भी बंद हो जाती है।
फिर सुबह उसी इंतजार के साथ पलके उठती हैऔर शाम होते होते फिर उसी मायूसी के साथ  झुक जाती है।

सिलसिला यूँ ही चलता रहा है मेरी उम्मीदों का
सदियों से तुम्हारी चाहत में कभी दिल डूब जाता है 
तुम्हारे खवाव्वों में ,तो कभी आँखे नम हो जाती है तुम्हारी यादो में।

कभी दिमाक हावी हो जाता है तुम्हारे न लोट कर आने के सवालो पे,
तो कभी धड़कने तेज हो जाती है तुम्हारे वापस आने की उम्मीद को और मजबूत बनाने में।

कभी मचल जाती है साँसे  तुम्हे ये बताने को की मुरझाये चहरे पर मुश्कान,
खामोश लबों में जुबान, और बहार आती है उस दिन जब तुम आ जाते हो आशियाने में,
तो कभी बेचैन हो जाती है रूह तुम्हारे जाने के फरमान सुनने पर, झूठी मुस्कुराहट के साथ सिर हिलाकर तुम्हारे साथ अलविदा करने का फर्ज निभाने में।

भरोसा था कभी तुम पर थाम कर हाँथ तुम्हारा हमेशा के लिए साथ तुम्हारे आकर घर तुम्हारा सजाने में,तो आज विश्वास है तुम्हारा मुझ पर देश की रक्षा में हाजिर पीछे तुम्हारे हमारे इस घर को संभालने में।

कभी जवाब दे जाती है परिवार की तसल्ली तुम्हें फिर से अपने करीब पाने में, 
तो कभी टूट जाती हूँ मैं उनके होंसले को कायम बनाने में।

कभी देती हूँ जवाब लोगो को बड़े ही साहस और  गर्व के साथ तुम्हारे हर कारनामे के बारे में ,
तो कभी हार जाती हूँ अपने झूठे वादों पर हमारे बच्चों से तुम्हारे जल्द ही उनके पास आने का यकीन दिलाने में।

बस यूँ ही कटते है मेरे दिन कभी तुम्हारे साथ बीती मीठी यादों में तो कभी तुम्हारी खलती कमी पर आँसू बहाने में,
........बस यूँ ही गुजरती है मेरी राते कभी चाँद में तुम्हे निहारने में,
तो कभी तुम्हारी तस्वीर को सीने से लगाकर खुद को ढाँढस बंधाने में।
Written By Ritika {Preeti} Samadhiya... Please Try To Be A Good Human Being....✍

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