चश्म-ए-तर भी बेताब हैं करने इक रश्क-ए-शरर
आखिर हम भी तो देखे कब होती हैं खुशी-ए-हस्ती की सहर।
[चश्म-ए-तर:-भींगी आँखे
रश्क-ए-शरर:-अंगारों का नृत्य
खुशी-ए-हस्ती:-जीवन का सुख
सहर:-सुबह]
Written By Ritika {Preeti} Samadhiya.... Please Try To Be A Good Human Being....✍
आखिर हम भी तो देखे कब होती हैं खुशी-ए-हस्ती की सहर।
[चश्म-ए-तर:-भींगी आँखे
रश्क-ए-शरर:-अंगारों का नृत्य
खुशी-ए-हस्ती:-जीवन का सुख
सहर:-सुबह]
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