सोमवार, 5 जून 2017

Hindi+Urdu....शायरी

चश्म-ए-तर भी बेताब हैं करने इक रश्क-ए-शरर
आखिर हम भी तो देखे कब होती हैं खुशी-ए-हस्ती की सहर।

[चश्म-ए-तर:-भींगी आँखे
रश्क-ए-शरर:-अंगारों का नृत्य
खुशी-ए-हस्ती:-जीवन का सुख
सहर:-सुबह]


Written By Ritika {Preeti} Samadhiya.... Please Try To Be A Good Human Being....✍





Hit Like If You Like The Post.....


Share On Google.....

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

your Comment will encourage us......

ब्लॉग आर्काइव

Popular Posts