मंजिल तो आज भी वही हैं बस रास्तें बदल लिए,
बचाने रिश्ते को हर दफा गलती पे उनकी हम झुक लिए।
न बयां कर सकते थे दर्द किसी से सो हर बार दिल थाम कर सिसक लिए,
जब खटकने लगे उन्हें तो हम गली से उनकी चुपचाप निकल लिये।
Written By Ritika {Preeti} Samadhiya... Please Try To Be A Good Human Being...✍
बचाने रिश्ते को हर दफा गलती पे उनकी हम झुक लिए।
न बयां कर सकते थे दर्द किसी से सो हर बार दिल थाम कर सिसक लिए,
जब खटकने लगे उन्हें तो हम गली से उनकी चुपचाप निकल लिये।
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