रविवार, 4 जून 2017

मंजिल तो आज भी वही हैं

मंजिल तो आज भी वही हैं बस रास्तें बदल लिए,
बचाने रिश्ते को हर दफा गलती पे उनकी हम झुक लिए। 

न बयां कर सकते थे दर्द किसी से सो हर बार दिल थाम कर सिसक लिए,

जब खटकने लगे उन्हें तो हम गली से उनकी चुपचाप निकल लिये।

Written By Ritika {Preeti} Samadhiya... Please Try To Be A Good Human Being...✍





Hit Like If You Like The Post.....


Share On Google.....

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

your Comment will encourage us......

ब्लॉग आर्काइव

Popular Posts