गुरुवार, 9 नवंबर 2017

मित्र


एक मित्र ऐसा हो
दिल मे धड़कन जैसा हो
एक मित्र ऐसा हो
आंखों में नूर जैसा हो
एक मित्र ऐसा हो
सीने में सांसो जैसा हो
एक मित्र ऐसा हो
सागर में नमक जैसा हो
एक मित्र ऐसा हो
सुई में धागे जैसा हो
एक मित्र ऐसा हो
फूलो में खुशबू जैसा हो
एक मित्र ऐसा हो
जीवन में खवाबों जैसा हो
एक मित्र ऐसा हो
गंगा में पावनता जैसा हो
एक मित्र ऐसा हो
होठों पे हसीं जैसा हो
एक मित्र ऐसा हो
मंदिर में मूर्त जैसा हो
एक मित्र ऐसा हो
सूरज की किरण जैसा हो
एक मित्र ऐसा हो
मोहब्बत में वफ़ा जैसा हो
एक मित्र ऐसा हो
शायरी में दर्द जैसा हो
एक मित्र ऐसा हो
अंधेरो में दीप जैसा हो
एक मित्र ऐसा हो
दर्द में टीस जैसा हो
एक मित्र ऐसा हो
इन्द्रधनुष में रंग जैसा हो
एक मित्र ऐसा हो
कृष्ण सुदामा जैसा हो
एक मित्र ऐसा हो 
जो बिल्कुल तेरे जैसे हो
जो बिल्कुल तेरे जैसा हो......


@प्रदीप सुमनाक्षर










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