ना तुमने कभी मुझे समझा
ना तुमने कभी मुझे जाना
ये दिल फिर भी तुम पे मरता हैं
ये दिल फिर भी तुम्हें प्यार करता है
रहोगे कब तलक जाली सलामों में
चलोगे कब तलक झूठी शानों में
खो जाएगी एक न एक दिन सोच तुम्हारी मेरी चाहत के महखाने में
फरक तुम पर नहीं पड़ता तुम हो कुछ ऐसे गुमानो में
राह थामी तुमने जिसका मंजिल से ना वास्ता ना ही पता ठिकानों में
आओगे थक कर तुम एक न एक दिन मेरे ही आशियाने में
ना तुमने कभी मुझे समझा
ना तुमने कभी मुझे जाना
ये दिल फिर भी तुमपे मरता है
ये दिल फिर भी तुम्हें प्यार करता हैं
वस्ल की राते गुजरती तुम्हारी हर हसीना के नजराने में
बहकते हो तुम दिन में भी जिस्म की खुशबू के तराने में
रोओगे जरूर एक न एक दिन तुम मेरी याद के बीते जमाने में
कर-कर अपनी मनमानी मजाक बनाते मेरा तुम अपने यारों के गुठ को और रंगीन बनाने में
भरता ना दिल तुम्हारा तो जिद्द कर जाते मुझसे ही मेरी हालत बयाँ करवाने में
देख लेना वादा है तुमसे ये मेरा तरस जाओगे तुम एक दिन और बिखर भी जाओगे तुम उसी दिन फिर से मुझ जैसी महबूबा पाने में।
न तुमने कभी समझा
न तुमने कभी जाना
ये दिल फिर भी तुमपे मरता है
ये दिल फिर भी तुम्हें प्यार करता है।
Written By Ritika {Preeti} Samadhiya.... Please Try To Be A Good Human Being...✍
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