मंगलवार, 21 नवंबर 2017

लघु कहानी - संगति

जरा हटकर - लघु कहानी - संगति 


       संगति का असर तो होता ही है , यह बात रमेश को उस समय समझ आई जब एक माह तक अपनी बुरी आदतों को छोड़कर वह सादगी से अपने कर्म में जुटा रहा । उसके व्यवहार परिवर्तन के बाद ही रमेश के " गुरु जी ' आज घर आ रहे थे। वह उनके आगमन से उत्साहित और प्रसन्न था । साथ ही उसे यह पछतावा भी हो रहा था कि - काश ! पहले ही उसे सच्चा मार्गदर्शन क्यों नही मिला । क्यों उसने अपने परिजनों की समझाइस पर ध्यान नही दिया ? पर कहते हैं ना - जब जागे तभी सबेरा । यही सबेरा अब रमेश की बर्बाद होती जिंदगी में खुशहाली लेकर आया था । उसे याद आ रहा था - कैसे अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए वह गलत संगत का शिकार हुआ और शराब - शवाब को अंगीकार कर अपने हंसते - खेलते परिवार से धीरे - धीरे दूर होता चला गया । सुबह से रात तक सिगरेट शराब का आदि हो चुके रमेश को कई बार सबने समझाया पर उस पर कोई असर नही हुआ लेकिन जब व्यवसाय बैठ गया तो उसके एक मित्र ने उसे एक सिद्ध पुरुष से मिलवाया । कुछ सोचकर महात्मन ने रमेश से कहा - सब ठीक हो जाएगा पर इसके लिए तेरे घर में एक अनुष्ठान करना होगा। 
   अपनी अनेक परेशानियों से घिरे निराश रमेश ने इस हेतु सहर्ष स्वीकृति दे दी लेकिन गुरूजी ने घर में प्रवेश करने से इंकार कर दिया । रमेश ने जब कारण जानना चाहा तो अपने नेत्र बंद कर वे बोले - तेरे घर से शराब की बू आ रही है । ऐसे में मातारानी का अनुष्ठान नही हो सकता । तुझे सिगरेट और शराब छोड़ना होगी । यदि ऐसा कर सका तो एक माह बाद अनुष्ठान हो सकेगा जिससे तेरी सारी परेशानी दूर हो जाएगी और व्यवसाय फिर चल पड़ेगा । साथ ही परिवार में भी सुख शांति आ जाएगी। गुरूजी की बात सुनकर रमेश पशोपेश में पड़ गया लेकिन तुरन्त ही स्वयं को सम्हालते हुए उसने गुरूजी को वचन दे दिया कि - अभी से ही वह सिगरेट और शराब को हाथ नही लगाएगा और उसने यह कर दिखाया। 
   आज एक माह हो गया था । गुरूजी अनुष्ठान के लिये घर आ रहे थे । परिवार के सभी सदस्य खुशी खुशी अनुष्ठान और गुरूजी के स्वागत की तैयारी में जुटे थे। अनुष्ठान पूरा हुआ और कुछ ही दिनों में सार्थक परिणाम भी दिखने लगे । 
       रमेश ने दोनों प्रकार की संगत का असर देख लिया था । वह समझ  गया था - अच्छी और बुरी संगत के परिणामों को ।
    - देवेंन्द्र सोनी , इटारसी।

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