मैं राजा मेरे जीवन का, वो मौत की रानी
बनकर, मेरी सांसें चुरा रही है
धीरे - धीरे - धीरे, मौत आ रही है
हर साँस में उसे महसूस करूँ
हर पल वो मेरे करीब आ रही है
धीरे - धीरे - धीरे, मौत आ रही है
मैं चाहकर भी कैसे भुला दूँ उसको
वो मेरे जिंदगी का हर लम्हा चुरा रही है
वो रात में, ख्वाब में, मुझे सत्ता रही है
धीरे - धीरे - धीरे, मौत आ रही है
- सुभाष वर्मा
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