सोमवार, 22 मई 2017

वो वक्त


ना मैंने तुझे देखा है

न मैंने तुझे सुना है
जाने क्यों तू लागती है मुझे अपनी सी
तुझे मैंने जीवन साथी समझा है
लगी तुझसे कोई प्रीत है
मन से मन का कोई मीत है

वो वक्त भी मुझे याद है
जब तू आया कराती थी रातों में
समय बिताते थे साथ में
तेरी बातों पर मुस्कुराया करता था मै
उस मुस्कान को माँ से छिपाया करता था मै

ना जाने फिर तू कहा खो गयी
मेरी जिंदगी अधूरी सी हो गयी
उन रातो को याद किया करता था मैं
फिर उन बातों पर मुस्कुराया करता था मैं

लेकिन फिर से मेरी जिंदगी में आयी तू
साथ में कुछ और लायी तू
टूटी हुई उम्मीद थी मेरी तेरे साथ
क्यों की किसी और की होकर आई तू


By: neer chourasiya...✍

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