सोमवार, 29 मई 2017

उपेक्षित घोडा






जिंदगी कई सुखद आश्चर्य दिखाती है। यही मुझे प्राप्त हुआ जब मे उससे मिला, आज 5 वर्षो बाद।
   मैं अजमेर से  मुंबई ट्रेन मे जा रहता। अभी ट्रेन चली ही थी की किसी ने मेरा कंधा थपथपाया। मैंने पिछे मुड़ के टिकेट चेकर को पाया। मैंने उसे पहचान लिया था । वह तो हमारा घोड़ा था। उसे उस रूप मे  देख कर काफ़ी आश्चर्य हुआ, मैंने उसे टिकेट दिखाते हुए बात करनी चाही। उसने काम का हवाला दे कर बाद मे आने को कहा।
5 वर्ष पहले
मेने 11वी मे दूसरी स्कूल मे दाखिला लिया। मे प्रथम बेंच पर बैठा था। मैंने कही से सुना की अकाउंट्स के नये अध्यापक आए है। तभी एक 6 फीट लंबा युवक आया। वह फॉर्मल कपड़े पहने था चेहरे पे दाढ़ी ,दिखने मे कुछ प्रोढ लग रहा था। मैंने उसे नया अध्यापक जाना ओर उसको गुड मॉर्निंग कहा। मेरे पीछे सारी क्लास ने भी यही किया। और सब हसने लगे। सर ने हमे बिठाया ओर कहा यह एक स्टूडेंट है। वो मेरे ही पास आके बेठा। एक लूसर ही था वो।
ना उसकी राइटिंग सही। ना उसे पढ़ा कुछ याद रहता। ना सेंटेन्स फ्रेमिंग कुछ सही थी। सारे टीचर्स का सिर दर्द बन चुका था वो। उसके घर के इतिहास को देख के वो विपरीत ही साबित होता था। उसकी बहिन डॉक्टर, उसका भाई इंजिनियर था। बस एक ख़ास बात थी उसमे वो मेहनत खूब करता था। पढ़ता बहुत था वो। 12वी का रिज़ल्ट भी आया। ओर आशातीत वो 59% से पास हो गया। जो भी उसे घोड़ा कहके चिढ़ते थे वो किसी ना किसी विषय मे फेल हो गये थे। उसके बाद उसने सीए एंट्रेन्स दिया ओर फैल हो गया। उसके बाद कुछ सुना नही उसके बारे मे।
अभी
फिर से किसीने कंधा थपथपाया । और मे जाग उठा। मैंने कहा अक्षय, तुम तो काफ़ी चेंज हो गये यार, एसा क्या हो गया यार ।
तो उसने बताना शुरू किया।
की पढ़ाई तो वो खूब करता था। पर कोई उद्देश्य ऩही था उसकी लाइफ मे। उसके पिता क पास खूब पैसे थे। उसको पढ़ने मे मेहनत करने की ज़रूरत नही थी। फैल भी तो हो गया था वो। उसके पिता ने उसकी सगाई करा दी। ओर यही उसकी जिंदगी बदल गयी। वो अब प्रॅक्टिकल हो गया था। उसे कैसे भी कर के खुद के पैरो पे खड़ा होना था। उसके लिए उसे गाइडेन्स की ज़रूरत थी। उसकी मंगेतर ने उसका बहुत सपोर्ट किया और उससे रेलवे का एग्ज़ॅम दिलवाया। काफ़ी मेहनत करने के बाद वो सफल हुआ।
आज वो एक वेल सेटल्ड जिंदगी जी रहा है। ओर हम आज भी करियर के लिए स्ट्रगल कर र्हे है।
सच मे वो एक घोड़ा था जो जिंदगी की दौड़ मे हम से बहुत आगे निकल गया.
>> Satish sikhwal
>> Fb / I tale you

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