मंगलवार, 23 मई 2017

वक्त




चाँद ले गया निशा का साथ तो सुबह की लाली है खिलखिलाई
और आज फिर ना जाने क्यूँ दिल में एक बात है आई
हर चीज वक्त वक्त पे है भायी,फिर चाहें वह पहर हो या हो जीवन के पहलुओं की अगुवाई
तो फिर क्यूँ इंसान को इतनी जल्दी हैं जब मिलें ना कुछ भी बिन वक्त के पहले चाहे खूब कर लो जतनों से मिलाई
जैसे निशा नहीं रुकती संध्या के आने पर, ना ही झुकती जाने पर 
जैसे सुबह नहीं अकडती सूरज चढ़ आने पर, ना ही मचलती ढल जाने पर 
बैसे ही कुछ नहीं निकलता और ना ही टिकता नसीबों में लिखा-ना-लिखा हाँथ समाने पर...............पर छाप नहीं छूटती यहां तुम्हारी यूँ पाने के पीछे जीवन बिताने पर....अगर चाहत हो छवि पाने की और खुद को मर कर भी जीवंत बनाने की तो बस जिन्दगानी के दो मीठे बोल मिलेंगें तुम्हें यहाँ तुम्हारे चले जाने पर सो बांटों तुम लोगों में प्रेम की मिठाई छोड़ दो दुनिया की कड़वाहट जो बदले में ऊगलने को तुम में हैं समायी।


Written By: Ritika Samadhiya..... Please Try To Be A Good Human Being......✍

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