गुरुवार, 11 मई 2017

रोशनी के झीने धागे : वक़्त और मैं...एक नज़्म

रोशनी के झीने धागे : वक़्त और मैं...एक नज़्म: वक़्त और मैं... वक़्त की आंच पर उबलता हूँ, भाप लो चलता-फिरता अलाव हूँ, हाथ ताप लो | सपने दिखाता  है, खुद तोड़ भी देता है  पर रखे पु...
Hit Like If You Like The Post.....


Share On Google.....

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

your Comment will encourage us......

ब्लॉग आर्काइव

Popular Posts