रोशनी के झीने धागे : वक़्त और मैं...एक नज़्म: वक़्त और मैं... वक़्त की आंच पर उबलता हूँ, भाप लो चलता-फिरता अलाव हूँ, हाथ ताप लो | सपने दिखाता है, खुद तोड़ भी देता है पर रखे पु...
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