जब मैंने उसे पहली बार कॉलेज में देखा था तब वो कॉलेज के फर्स्टइयर के कोरीडोर में खड़ी हुई थी उसके बाल बिखरे हुए थे एक हलके से परेशान होने वाले भाव उसके चेहरे पर दिखाई दे रहे थे...
वो अपनी नयी सहेलियों को क्लास के बाहर आवाज देकर बुला रही थी, और मै उसे देख रहा था। तब से ही वो मेरे मन को भा गयी थी... पता नहीं शायद ये पहली नजर का प्यार था या नए कॉलेज में गर्लफ्रैंड बनाने का शौक। सच कहूँ... तो उसने उसी दिन से मेरे दिल में जगह बना ली थी।
मेने उससे फेसबुक के जरीये बात करने का सोच लिया था, पर मेने सीधे तौर पर उससे बात करना सही नहीं समझा और मेने अपनी कॉलेज की एक नयी दोस्त जो उसकी भी सहेली थी मैंने उसकी मदद लेना चाही। मेने उसे तुम्हारे बारे में बताया, मेने सोचा शायद वो किसी बहाने से मेरी उससे बात करा देगी पर उसने शायद मेरे मंसूबो को कुछ ज्यादा ही मिर्च मसाला लगाकर उसे बता दिया। हालाकिं जब उसकी तरफ से नेगेटिव रेसपोंस आने लगे, और मेरे दोस्त ने भी मुझे उसका पीछा छोड़ने के लिए समझाया तो मेने भी कुछ ना करना ही ठीक समझा.. पर कही न कही तो मन में उसके लिए जगह थी... काफी समय बीत गया था शायद उसके विचार अब मेरे प्रति बदलने लगे थे यही सोचकर मेने फिर से फेसबुक पर उसे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज दी... इस बार उसने मेरी फ्रेंड रिक्वेस्ट को फेसबुक और अपनी जिंदगी दोनों जगह एक्सेप्ट कर ली। अब तक तो हम काफी अच्छे दोस्त बन चुके थे। अब, उसकी बातो से मेरा उसकी ओर आकर्षण बड़ रहा था, वो वाकई में मुझे उसके व्यवहार से भी अच्छी लगने लगी थी, पर कभी कभी उसके कुछ व्यवहार और मेरी परेशानियो की वजह से तंग आकर मेने तुम्हे फेसबुक से उनफ्रैंड कर दिया।फिर कुछ समय बाद उसके मोबाइल नंबर मुझे कालेज से मिले, दरअसल मैंने वो नंबर कॉलेज के किसी डॉक्यूमेंट से चुरा लिए थे, अगर उस समय मुझे वो नंबर ना मिले होते तो शायद आज हालात कुछ और होते खैर मुझे उसके मोबाइल नंबर में उस समय कोई खास दिलचस्पी नहीं थी क्यू की मेरे पास ना तो व्हाट्सअप वाला मोबाइल था और ना ही मेरे पास बात करने को ज्यादा बेलेन्स होता था तो मेरे पास उसके नंबर कोई खास काम के नहीं थे। पर सोचा कभी न कभी तो मोबाइल नंबर काम आ ही जाएंगे तो मैंने वो मोबाइल नंबर अपने मोबाइल मे सेव कर लिए।
मुझे वो दिन भी याद है जब मेरी और उसकी पहली फोटो क्लिक हुई थी... वो हमारे कॉलेज का वार्षिक उत्सव का दिन था जहा हमे साउथ इंडियन कपड़े पहकर जाना था... कॉलेज मे सभी लोग साउथ इंडियन कपड़ो मे दिखाई दे रहे थे पर मेरी नजर उसे ढूंढ रही थी... आखिर कार वो दिखाई दी... वो सच मे बहुत सुंदर लग रही थी... पूरे कॉलेज मे लोग एक दूसरे के साथ सेलफ़ी फोटो ले रहे थे तो मैंने भी मौके का फाइदा उठाकर एक सेलफ़ी लेने का सोच ही लिया... आखिर कार मैं अपने एक मित्र के साथ तुम्हारे साथ सेलफ़ी लेने पहुंचा और मैं उसके साथ सेलफ़ी ले ही रहा था कि मेरे मोबाइल पर कॉल आ गया... सच मे मुझे उस कॉल करने वाले पर काफी गुस्सा आया... पर हड़भाड़ाहट उसका कॉल काटकर मैंने सफलता पूर्वक वो सेलफ़ी ले ही ली.... सच मे वो दिन भी जिंदगी के यादगार दिनो मे से एक है... जहा एक और सभी लोगो ने उस दिन इतना मजा किया मुझे भी तुम्हारे साथ पहली फोटो मिल गयी थी... मे बहुत खुश था।
कुछ दिनो बाद फिर से मैंने उसे फेसबुक पर ऐड कर लिया था। कुछ समय बाद मेरी उससे बात बढ़ने लगी, मेरा नया मोबाइल भी आ गया था तो अब मेने उसे व्हाट्सएप्प पर भी बात करना शुरू कर दिया।
अब वो पल आ चुका था जब मैं उसकी और बढ़ता जा रहा था... कितने अच्छे थे वो दिन... जब हम काफी बातें किया करते थे, बात करते करते पूरा दिन निकाल जया करता था पर फिर भी हमारी बातें कभी खत्म नहीं हुआ करती थी। तब वो समय आ गया था जब वो मुझे बिलकुल अपनी लगने लगी थी। शायद ये कोई पिछले जन्म का संबंध ही है जो हम दोनों को इतनी गहराई से जोड़कर रख रहा है।
तब में उसे अपनी जीवन अर्धांगनी के रूप मे देखने लगा था। और कई बार अपनी कल्पनाओं मे उसे जी लेता था। मैं उसे लेकर कई सपने देखा करता था ये सपने बड़े मनोरम और मन को प्रसन्नता से भरने वाले थे... “शादी के बाद वो साडी में कैसी लगोगी”, “मेरे काम से आते ही वो झूंठा गुस्सा दिखाकर सब्जी मंगाया करेगी और में मुह लटकाकर बाजार से उलटी सीधी सब्जियां लेकर आया करूँगा, हमारी एक छोटी सी बच्ची होगी वो उसकी तरह दिखेगी.... बस यही सब सपने देख कर मेरे होंठो पर एक मुस्कराहट आ जाती थी।
मैं अब सच में उसे काफी पसंद करने लगा था। मेने तुम्हारे बारे मे कॉलेज के एक दोस्त जो की मेरे शहर का ही था उसे भी बताया, लेकिन शायद वो मुझे जलाने के लिए तुम्हारे बारे में गलत बात करने लगा, मुझे उसकी वो बाते काफी बुरी लह करती थी, कोई कैसे सिर्फ अपने मजे के लिए किसी के बाते मे गलत कह सकता है? पर मेरे उस दोस्त को शायद अंदाजा भी नहीं है की में उसके बारे मे बारे में कितना जानता हूँ। मुझे अपने आप से ज्यादा उस पर यकीन था। और मैंने अपने दोस्त की बातों पर ध्यान देना छोड़ दिया।
दिवाली के दिन आने वाले थे, सब कुछ ठीक ही चल रहा था, मैं किसी भी हालत मे उसे खोना नहीं चाहता था। आखिर मैं उसके साथ अपनी जिंदगी के सबसे ज्यादा खुशी के दिन जी रहा था। पर शायद हमारे इस रिश्ते को किसी की नजर लग गयी थी या शायद यूं कह ले की हमारे रिश्तों में मिठास कुछ ज्यादा ही बड़ गयी थी, सो अब सब कुछ बिगड़ने लगा था, यहाँ कई तरह से मुझे मानसिक तनाव झेलना पड़ रहा था साथ में वो नहीं थी तो मै और परेशान था... शायद मेरे दिन ही अच्छे नहीं चल रहे थे, पर कई बार मैंने उससे बात करने की और सब कुछ पहले की तरह करने की कोशिश की, पर मेरी उससे उम्मीद शायद कुछ ज्यादा ही बड़ गयी थी और उसने भी यकीनन अपनी तरफ से सब कुछ ठीक करने की कोशिश की होगी, परंतु मेरी उम्मीद ज्यादा होने के कारण उसकी कोशिश भी पर्याप्त नहीं थी, इधर में अब काफी चिंता में आ चुका था, कई बार तो तनाव इतना बढ़ जाता था की मात्र आत्महत्या ही एक विकल्प नजर आता था। भले ही आत्महत्या का विकल्प काफी सुखद लगे परंतु ये कभी सभी परेशानियों का हल नहीं हो सकता है।
खैर जो भी हो... हमारे बीच जो था अब पहले जैसा नहीं रहा... पता नहीं मैं बदल गया था या वो... जो भी हो मैं सब कुछ पहले की तरह चाहता था लेकिन सब कुछ ठीक नहीं हो रहा था।
कुछ दिनो बाद उससे बात की... मैं अब भी वही कोशिश मे लगा था की सब पहले की तरह ठीक हो जाए पर तब ही उसने बताया की वो किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क मे है जिसे वो पसंद करती है... और वो व्यक्ति भी उसे पसंद करता है...। ये बात जानकार जो मेरी स्थिति थी वो बयान करने लायक नहीं है, मुझे उसकी इस बात पर यकीन नहीं हो रहा था । पर जो भी हो मे उससे प्यार करता था और वो खुश रहे मे भी तो यही चाहता था, मैंने कभी जबर्दस्ती उसकी जिंदगी मे आने की कोशिश नहीं की... पर अब मे टूट चुका था...
पहले जहां मे फ़र्स्ट इयर से लेकर अब तक उसे देखने के लिए कॉलेज जाता था अब मैं उसे देख ना लूँ इस लिए कॉलेज जाना कम कर दिया। पर जब भी मैं उसे कॉलेज मे देखता था उससे अब भी वही अपना पैन दिखता था... उसकी बात पर मुझे अब भी विश्वास नहीं था की वो किसी व्यक्ति को पसंद करती है। मुझे उसकी आंखो मे आज भी मेरे लिए भाव दिखाई देते है... आखिर कार उसने ही मुझसे कहा था कि “ हमारा रिश्ता तो दिल से बना है और इसे कोई तोड़ नहीं सकता” और ये उसने सच भी कहा था, जो दिल का रिश्ता हमारा बना है वो ना तो वो खुद तोड़ सकती है और ना मैं उसे तोड़ सकता हूँ।
उसका मेरे प्रति व्यवहार और उसकी आँखें जो कह रही है क्यूँ दोनों मे इतना अंतर है... बस इसी बात को जानने के लिए मैंने उससे बात कि... वो भले भी नहीं मानती कि उसके मन मे मेरे लिए कोई भाव है। पर वो आज भी मेरे लिए सोच रही है... उसका मुझसे दूर रहना भी मेरे भविष्य कि खुशी के लिए है। ये बात जानकार मेरे मन मे उसके लिए इज्जत और भी बड़ गयी। लेकिन एक बात ये भी सच है कि उसके इस व्यवहार से भी मेरा प्यार उसके लिए कम नहीं होगा, शायद अब उर पहले से ज्यादा मजबूत हो चुका है।
हालांकि हमारे कॉलेज के चार साल खत्म हो गए है पर उम्मीदें खत्म नहीं हुई है... मैं अब भी यही आशा कर रहा हु कि वो मेरे देखे हुए वो सभी सपने सच होंगे... वो मुझे रोज मुझे साड़ी मे दिखेगी... वो रोज मुझसे सब्जियाँ मंगाया करेगी.... हमारी एक प्यारी सी बेटी भी होगी...
। आखिर मोहोब्बत मे जब तक दीवानगी ना हो तब तक वह मोहोब्बत नहीं होती
By: neer chourasiya...✍
Read more By: neer chorasiya
Hit Like If You Like The Post.....
Share On Google.....
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
your Comment will encourage us......