गुरुवार, 25 मई 2017

अस्तित्व ....एक नास्तिक की कलम से


एक नास्तिक की कलम से   ......... 

मैं जानता हूं 
तेरा अस्तित्व है एक मज़बूरी 
अगर तू है, तो दुनिया है अधूरी 
अगर नहीं, तो दुनिया नहीं पूरी। 

मैं तुझे समझ न पाया, या 
तू मुझे समझ न पाया 
तूने मुझे बनाया या मैंने तुझे 
यही भेद, ना तू ना मैं समझ पाया। 

तेरा न होकर भी होना है जरूरी 
इन्सानी फितूर, है एक मज़बूरी। 

By: Subhash Verma

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