हमारे कॉलेज के आखिरी दिनों में से वो एक दिन, जिसमे सभी लोग एक दूसरे की शर्ट पर मन की कुछ बाते लिखते है...
सभी लोग एक दूसरे को उनकी शर्ट पर कुछ बातें लिखकर अपनी यादें लिखकर देने की कोशिश कर रहे थे, पर में उसे देख रहा था... वो सफ़ेद टी शर्ट में, आँखों में काजल लगाये हुए थी, उसके बाल उसकी जो खुले हुए थे, उसकी आँखों पर आ रहे थे... सच में कितनी खूबसूरत लग रही थी वो, पर आज उसकी आँखे मुझसे कुछ कहना चाह रही थी, और में उन पड़ने की कोशिश कर रहा था.. पर ये इतना भी आसान नहीं था, हम दोनों इक दुसरे देख रहे थे मगर जाहिर नहीं होने दे रहे थे। में भी बहुत कुछ उससे कहना चाहता था, मगर मैं भी अपने आप को रोका हुआ था, यदि उस समय सबके सामने उससे बात करता तो शायद उसे पसंद भी ना आता, लोग काफी बाते बनाते सो अलग... हालाँकि मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है की लोग क्या कहते है.. पर उसे तो फर्क पड़ता है.. और में उससे बात भी क्या करता, उसे सब कुछ तो पता है मेरे मन की बात, पर फिर भी वो यदि नहीं समझती है तो ज्यादा कहना भी कुछ ठीक नहीं। खैर अब सभी लोग सिग्नेचर डे मना चुके थे और में भी घर को निकलने ही वाला था, अपने मन में इक्छा जरूर थी की वो भी कुछ लिखे मेरी शर्ट पर, पर कोई जबरदस्ती भी नहीं थी...। घर को निकल ही रहा था की सामने मेरी बहन और एक दोस्त बैठे थे.. में उनके पास गया.. तभी पीछे से एक आवाज आई "आप आपका बैग हटाओगे? मुझे कुछ लिखना है....।"सच में... कुछ ऐसा लगा जैसे मुझे सब कुछ मिल गया हो...
मेने हां कहते हुए अपने कंधे से अपना बेग साइड किया...
वो मेरी शर्ट पर कुछ लिख रही थी... में चाहता था वो पल वही रुक जाये... वो कभी मेरे इतने करीब ना थी... हालाकिं उसने मुझे फिर अपनी एक याद दे दी.. जिसे भूलना काफी मुश्किल है...
"तुम्हारी टाइमिंग अच्छी है..." मेरी बहन ने मुझसे मजाक में कहा
और मेने उस पर कुछ प्रतिक्रिया नहीं दी, आखिर में अपना सबसे ख़ास पल जी रहा था।
"हो गया..." उसने कहा
"मुझे भी कुछ लिखना है" मेने कहा
"हां ठीक है" उसने कहा
अब में उसकी टी शर्ट पर लिखने की जगह देखने लगा.. कही जगह नजर नहीं आ रही थी... एक छोटा सा कोना ढूंढकर उस पर लिखना चाह रहा था... पर क्या लिखू, जो में कहना चाहता हु वो कहा इस शर्ट के कोने पर वयां नहीं किया जा सकता था, मुझे बिलकुल समझ नहीं आ रहा था क्या लिखुँ, पर हड़भड़ाहट में मेने कुछ लिख दिया।
"लिख दिया" कहकर मेने उसे उसका पैन वापिस कर दिया और वो वह से चली गयी।
अब चंद पलो में ही मुझे अफ़सोस होने लगा... "मुझे कुछ अच्छा लिखना चाहिए था।"
ये शायद हम आखीरी बार ही मिल रहे थे। अब कॉलेज ख़त्म होते ही हम कभी एक दूसरे को नहीं मिल पाएंगे, में घर जाते समय रास्ते पर वो सभी पुरानी बातें याद कर रहा था जो हमने की थी
मुझे याद है उसने मुझे अपने नए घर पर बुलाने की बात की थी.. पर हमारे बीच जो हुआ शायद ही अब वो कभी मुझसे बात करे
हालाकिं मुझे कारण पता है वो मुझसे बात क्यों नहीं करना चाहती, इसलिए में उसे गलत नहीं समझ सकता, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता लोग उसके बारे में क्या कहते है और सोचते है, उसे जितना अच्छी से में जनता हु शायद कोई नहीं जानता।
मेरे मन में उत्सुकता की लहरे दौड़ रही थी अब बस में जल्दी से घर पहुंचकर ये देखना चाहता था की उसने क्या लिखा... पर सब्र का फल अच्छा होता है यही सोचकर अपने आप को बांधे रखा
आखिर उसने भी मुझे इतना सब्र करना तो सीखा ही दिया था
अब में अपने घर पहुँच गया था
पहुंचते मेने अपना शर्ट निकाला और देखा...
वहां लिखा हुआ था
"be happy always :) "
By: neer chourasiya...✍
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