सोमवार, 29 मई 2017

हिंदी लेखकों को पाठक कैसे मिलें / How to get readers to Hindi writers



भारत में हर जगह, हर दिशा में, हर तरह की प्रतिभा है,
इसी प्रतिभा के रूप में भारतीय लेखकों की अहम् भूमिका रही और लेखकों का सवर्णिम इतिहास रहा।  ऐसा इसलिए क्योंकि हर उस लेखक को समाज में स्थान मिला जो लेखन के जरिये अपनी बात कहना चाहता था।
एक लेखक तभी लिखता है जब समाज या तो उसे स्वीकार करे या उसे नकार दे ( तब वो समाज से लड़ता है )
परन्तु अगर समाज उसे स्थान ही न दे तो क्या ..... ?
समाज में स्थान तभी मिलता है जब पाठकों तक लेखक की बात पहुंचे जिसके लिए लेखक को कोई न कोई माध्मम चाहिए।  लेखक की बात पाठकों तक पहुँचाने के माध्यम पहले भी थे और आज भी हैं, फिर भी क्यों हिंदी लेखकों को उतने पाठक नहीं मिल पाते जितने की अंग्रेजी लेखकों को ?

कारण है माध्यम....आज के समय में पाठकों से सीधे जुड़ने का जो माध्यम है वो है facebook, wattpad, medium, blogger...आदि, अब मजे की बात ये है की, जैसे की ऊपर लिखे गए हैं ये सब अंग्रेजी में तैयार किये गए माध्यम है, अंग्रेजी के लेखकों ने अपने आपको नए माध्यम के अनुसार अपने आप को बदल लिया या यूँ कहिये ये बने ही उनके लिए थे।
परन्तु हिंदी लेखक आज भी पाठकों तक अपनी बात पहुँचाने में असमर्थ है। नए लेखक तो जानते ही नहीं की हिंदी  में  लिखें कैसे, कुछ मजबूरन अपनी बात की रोमन लिपि में लिख  कर पाठकों तक पहुँचाने की असफल कोशिश करते हैं।
 कुछ लेखक हिंदी में  facebook या  blogger पर लिख तो देते है परन्तु अपनी बात पाठकों तक कैसे पहुंचाए, .....नहीं जानते।  
आइये जानते हैं इस बारे में कुछ मत्वपूर्ण बातें ....
1 . Blog या  Facebook page बनायें :  किसी भी नए लेखक को अपनी बात पहुँचाने के लिए एक माध्यम चाहिए, जैसे की फेसबुक पेज या ब्लॉग जहां लेखक अपनी रचना लिख सके अपनी भाषा में।  अगर आपको इसी
समय किसी लेखक की रचना को पढ़ना है तो कहां जाओगे ...उसके ब्लॉग या पेज पर ना फेसबुक पर उसकी किसी पोस्ट को तलाश करोगे।  इसलिए सबसे पहले अपना ब्लॉग बनाएं या किसी साँझा ब्लॉग  में अपनी रचना लिखें जहां आपका नाम आपकी रचना के साथ लिखा रहे।

2 . साँझा मंच (Storage platform): बहुत से लेखक जो जानते हैं की ब्लॉग क्या है, अपना-अपना ब्लॉग बना कर बैठे हैं, परन्तु ये उसी तरह है जैसे की किसी सुनसान जगह पर कोई दुकान। उस दुकान को एक मार्केट चाहिए। उसी तरह लेखकों को एक ऐसा साँझा मंच चाहिए जहां वे अपनी पहचान बना सके। फेसबुक पर हजारों ग्रुप और पेज हैं परन्तु वो सभी लेखकों और पाठकों के लिए साँझा मंच तैयार करने में नाकामयाब रहे, ऐसे में साहित्य सारथी  ब्लॉग ने हिंदी लेखकों और पाठकों को एक नया साँझा मंच दिया है जहां लेखक अपनी रचना लिख सकता है या अपने लिखे हुए ब्लॉग को वहां शेयर कर सकता है।

3 . प्रकाशित करें और शेयर करें : किसी भी लिखे गए लेख, कविता या कहानी को सिर्फ एक जगह प्रकाशित करें न की हर ग्रुप व हर ब्लॉग पर, उसके बाद उसे हर जगह शेयर करें,  ऐसा इसलिए ....
    1 .  अगर आप उसे शेयर करते हैं तो पढ़ने वाला चाहे किसी भी ग्रुप या ब्लॉग पर हो, लिंक के माध्यम से वहीं पढ़ेगा जहां आपने उसे मूल रूप से प्रकाशित किया है, पाठक हर बार ऐसा ही करेगा, अगली बार जब वह कुछ भी पढ़ना चाहेगा तो सीधे उस ब्लॉग पर आएगा जहां आप हमेशा प्रकाशित करते रहे हैं। ये किसी आदमी के घर की तरह है.... जब लोग उसे पहचानने लगते हैं तो उसके घर जाने लगते हैं।
    2. . अगर आप एक ही कविता या कहानी को हर जगह प्रकाशित करते हैं, ऐसा करने से आपको पाठक तो मिलेंगे परन्तु आप अपनी पहचान बनाने में नाकामयाब रहेंगे, क्योंकि फेसबुक पर लिखा गया एक निश्चित समय के बाद आपको दिखाई नहीं देता, इसके विपरीत ब्लॉग पर लिखा हुआ आपकी पहचान है, पाठक आपके ब्लॉग को याद कर कभी भी, कहीं भी पढ़ सकता है।

4 . टैग: किसी भी रचना को प्रकाशित करते समय बहुत महत्वपूर्ण है टैग करना।  टैग करना मतलब, "पहचान के उद्देश्य के लिए या अन्य जानकारी देने के लिए किसी व्यक्ति या किसी चीज़ से जुड़े लेबल" है

5 . खोज विवरण (Search description) :  सर्च इंजन जैसे की google, yahoo, ME आदि आपके लिखे गए किसी भी शब्द के अनुसार खोजते हैं।  तो कैसे लिखें खोज विवरण किसी अन्य ब्लॉग में जानेगे।

6 . वरिष्ठ लेखकों से संबंध: किसी भी लेखक के लिए जरूरी है वो अपने जैसे लोगों के सम्पर्क में रहे जिससे की वो लगातार सीखता रहे और प्रतियोगिता (competition) में बना रहे।  एक साँझा मंच आपको वरिष्ठ लेखकों से बात करने व  मुलाकात करने का मौका देता है।

उम्मीद है जानकारी कुछ काम आएगी।
( अगर आप जानना चाहेंगे तो आगे हम जानेगे की ब्लॉग कैसे लिखें, लिखने में गलतियां करने से कैसे बचें , टैग क्या है, कैसे लिखें ,पाठक क्या चाहता है...आदि )

 please share it and comment your views and suggestions.

लेखक: सुभाष वर्मा 

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1 टिप्पणी:

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