मंगलवार, 30 मई 2017

हवाएँ

तुम मेरे लिये उस हवा की तरह हो
जो मुझे छू कर तुम्हारे साथ का अहसास तो कराती हैं
लेकिन अगले ही पल दूर हो जाती हैं।

यूँ थम जाती हैं जैसे उसका नाम ओ निशान ही नही
ठीक वैसे ही जैसे तुम्हारे दिल में मेरा कोई जहान नहीं

लेकिन जब ये हवाएं मुझसे गुजरती हैं 
तो तेरी हर आहट मुझमें सिमटती हैं,
कदमों को तेरी ओर बढ़ने की उमंग जंचती हैं ,
मन को फिर उम्मीद की किरण कहीं दूर दिखाई लगती हैं,
एक बार फिर तुझे चाहतें, पाने को न सही खोने को तरसती हैं

ये हवाएं क्यूँ न उम्र भर को रुकती हैं?,
ये हवाएं क्यूँ न मेरी रूह में टिक सकती हैं ?
ये हवाएं क्यूँ न तुम्हारी जगह मुझ संग संगम करती हैं ?
क्यूँ ये हवाएं तुम सी फितरत रखती हैं,
कभी मुझसे लड़ती,कभी झगड़ती हैं,कभी तो तूफान बनकर बरस पड़ती हैं 

पर सच कहूँ ये जो भी मेरे साथ अपनी चाल चलती हैं,
उन सब में तुम्हें मेरे पास करती हैं,
इक लम्हें को भी मुझसे बिछड़न तुम्हारा ये न करती हैं
मेरे दिल को धड़कने की वजह से भरती हैं 
इन हवाओं का आना-जाना मेरी सांसो का आना-जाना सा बन गया हैं 
गर ये हवाएं यूँ न आकर गई और अगले ही वक्त जाकर आई न होती,
तो ये तुम्हारी दीवानी भी कब की मर गई होती,
तुम पर अपनी परछाईं से हट कर पत्थरों में जड़ गई होती

"इसलिये ए हवाओं तुम्हारा दिल-ओ-जान से शुक्रिया कि तुमने मेरे सनम को न तो मेरे करीब और न मुझसे जुदा होने दिया।"

Written By Ritika {Preeti} Samadhiya.... Please Try To Be A Good Human Being....✍


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बेटी

अजय सिंह ताज .....7837304195

 एक बेटी का अपनी मां को खत.....

         मां मैं तुमसे बहुत ज्यादा प्यार करती हूं ,बहुत ही ज्यादा, इस दुनिया में तेरे जैसा कोई और नहीं हो सकता, काश तुम मुझे प्यार करती अपनी गोद में बिठाकर दुलार करती ,फिर मैं जब थोड़ी बड़ी होती तो आपको कविता सुनाकर, छोटी-छोटी नटखट बाते सुनाकर हंसाती |

मेरे पापा भी मुझे प्यार करते, जब पापा ऑफिस से घर आते तो मुझे गले से लगा लेते  और मैं हमेशा की तरह अपने पापा को अपनी प्यारी सी  मुस्कान से पापा की सारी थकान दूर कर देती। 

 फिर मेरे भाई भी तो हैं, उनको राखी भी बांधती, कितना अच्छा होता यह सब, भाइयों को अपनी बहन पर नाज होता, हम भाई बहन खूब खेलते
........


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सोमवार, 29 मई 2017

जरूरी होना और ना होना



किसी को प्यार करने के लिये 
उसका पास होना ही जरूरी नहीं होता
उसका साथ होना ही जरूरी नहीं होता
उसका आभाष होना ही जरूरी होता हैं
उसका अहसास होना ही जरूरी होता हैं

किसी को अपना बनाने के लिये 
ख्वाइशों को जीत दिलाना ही जरूरी नहीं होता
हासिलगिरी को परवानों पर चढ़ाना ही जरूरी नहीं होता
उसका दिल जीतना ही जरूरी होता हैं
उसका हो जाना ही जरूरी होता हैं

किसी का नाम खुद के नाम से जोड़ने के लिये
उसको अपने वजूद में मिलना ही जरूरी नहीं होता
किस्मत को वजह बनाना ही जरूरी नहीं होता
उसके अस्तित्व में विलीन हो जाना ही जरूरी होता हैं
अपने कर्मों से उसको पाना ही जरूरी होता हैं

किसी की रूह में बस जाने के लिये
प्रेम अलख जगाना ही जरूरी नहीं होता
लालसा(उसे पाने की) का मायूस हो जाना ही जरूरी नहीं होता
काया का जोगन में परिवर्तित हो जाना ही जरूरी होता हैं
त्याग का रूप नहीं त्यागत्व धारण करना ही जरूरी होता हैं

 जरूरी यूँ तो कुछ भी नहीं होता
और बहुत कुछ भी होता हैं.......
लेकिन प्रेम में सबकुछ भूल जाना ही जरूरी नहीं होता,
सब कुछ अमिटता से छप जाना ही जरूरी होता हैं।

Wrt By Ritika(Preeti) Samadhiya...... Please Try To Be A Good Human Being....✍

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उपेक्षित घोडा






जिंदगी कई सुखद आश्चर्य दिखाती है। यही मुझे प्राप्त हुआ जब मे उससे मिला, आज 5 वर्षो बाद।
   मैं अजमेर से  मुंबई ट्रेन मे जा रहता। अभी ट्रेन चली ही थी की किसी ने मेरा कंधा थपथपाया। मैंने पिछे मुड़ के टिकेट चेकर को पाया। मैंने उसे पहचान लिया था । वह तो हमारा घोड़ा था। उसे उस रूप मे  देख कर काफ़ी आश्चर्य हुआ, मैंने उसे टिकेट दिखाते हुए बात करनी चाही। उसने काम का हवाला दे कर बाद मे आने को कहा।
5 वर्ष पहले
मेने 11वी मे दूसरी स्कूल मे दाखिला लिया। मे प्रथम बेंच पर बैठा था। मैंने कही से सुना की अकाउंट्स के नये अध्यापक आए है। तभी एक 6 फीट लंबा युवक आया। वह फॉर्मल कपड़े पहने था चेहरे पे दाढ़ी ,दिखने मे कुछ प्रोढ लग रहा था। मैंने उसे नया अध्यापक जाना ओर उसको गुड मॉर्निंग कहा। मेरे पीछे सारी क्लास ने भी यही किया। और सब हसने लगे। सर ने हमे बिठाया ओर कहा यह एक स्टूडेंट है। वो मेरे ही पास आके बेठा। एक लूसर ही था वो।

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हिंदी लेखकों को पाठक कैसे मिलें / How to get readers to Hindi writers



भारत में हर जगह, हर दिशा में, हर तरह की प्रतिभा है,
इसी प्रतिभा के रूप में भारतीय लेखकों की अहम् भूमिका रही और लेखकों का सवर्णिम इतिहास रहा।  ऐसा इसलिए क्योंकि हर उस लेखक को समाज में स्थान मिला जो लेखन के जरिये अपनी बात कहना चाहता था।
एक लेखक तभी लिखता है जब समाज या तो उसे स्वीकार करे या उसे नकार दे ( तब वो समाज से लड़ता है )
परन्तु अगर समाज उसे स्थान ही न दे तो क्या ..... ?
समाज में स्थान तभी मिलता है जब पाठकों तक लेखक की बात पहुंचे जिसके लिए लेखक को कोई न कोई माध्मम चाहिए।  लेखक की बात पाठकों तक पहुँचाने के माध्यम पहले भी थे और आज भी हैं, फिर भी क्यों हिंदी लेखकों को उतने पाठक नहीं मिल पाते जितने की अंग्रेजी लेखकों को ?

कारण है माध्यम....आज के समय में पाठकों से सीधे जुड़ने का जो माध्यम है वो है facebook, wattpad, medium, blogger...आदि, अब मजे की बात ये है की, जैसे की ऊपर लिखे गए हैं ये सब अंग्रेजी में तैयार किये गए माध्यम है, अंग्रेजी के लेखकों ने अपने आपको नए माध्यम के अनुसार अपने आप को बदल लिया या यूँ कहिये ये बने ही उनके लिए थे।
परन्तु हिंदी लेखक आज भी पाठकों तक अपनी बात पहुँचाने में असमर्थ है। नए लेखक तो जानते ही नहीं की हिंदी  में  लिखें कैसे, कुछ मजबूरन अपनी बात की रोमन लिपि में लिख  कर पाठकों तक पहुँचाने की असफल कोशिश करते हैं।
 कुछ लेखक हिंदी में  facebook या  blogger पर लिख तो देते है परन्तु अपनी बात पाठकों तक कैसे पहुंचाए, .....नहीं जानते।  
आइये जानते हैं इस बारे में कुछ मत्वपूर्ण बातें ....
1 . Blog या  Facebook page बनायें :  किसी भी नए लेखक को अपनी बात पहुँचाने के लिए एक माध्यम चाहिए, जैसे की फेसबुक पेज या ब्लॉग जहां लेखक अपनी रचना लिख सके अपनी भाषा में।  अगर आपको इसी

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रविवार, 28 मई 2017

रब का सिमरन


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रब का सिमरन बहुत ही जरूरी है /  इंसान कितना भी अच्छा  साफ़ दिल क्यों ना हो ,पर पर उसे रब का सिमरन करना ही पड़ता है, वरना क्या फायदा इस जिंदगी में रहकर , जिंदगी तो कट  ही रही है , अच्छे और बुरे दौर में /

 एक छोटा सा बच्चा अगर कितना भी समझदार क्यों ना हो , पर उसे अपना पाठ याद करना ही पड़ता है /होमवर्क करना ही पड़ता है /वरना उसका <टीचर> गुरु   उसे  डांटेगा कि तू इतना समझदार होशियार है ,पर फिर भी होमवर्क नहीं किया तूने /

इसी तरह हम इंसान ऐसे हैं कि भले ही अच्छे काम करते हैं , अच्छी बोली बोलते हैं सब के साथ , पर हर इंसान को रब का सिमरन करना ही पड़ेगा। .....

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शनिवार, 27 मई 2017

सुरूर से नासूर तक


तू आहिस्ता-आहिस्ता मेरे जीवन का सुरूर बन गया

जब भी देखूँ आईना तो तेरी खुमारी का मुझ पर गुरुर सा लगता था चढ़ गया

यूँ ही चलती रही मैं तो पुराने अरसे की तरह और
पता न चला तू कब मेरी आँखों का नूर बन गया

कहते ना बनती थी तेरी तारीफों की चमक मेरी बातों से
 तू सबकी नजरों का ऐसा बेशकीमती कोहिनूर बन गया

बीत चुके वक्त में तेरी यादों का पुलंदा धूल से लस्त ना होकर स्मृति की गवाही का अचूक और हाजिर जवाबी करने वाला दर्द मेरा, जी हुजूर  बन गया

जिसे बार-बार पढ़ा जाये और एक पल को भी ना भुला पायें मेरी साँसों का कुछ ऐसा ही तू फितूर बन गया

गमों ने बाहों में जकड़ा तो कोई रंज ना मुझको छू गया पर जो छूटा तेरा हाँथ मुझसे तो मेरा वजूद ही मुझसे  मुकर गया और तो और मेरा हर आँसू मेरा ही नासूर बन गया।

Written By Ritika Samadhiya... Please Try To Be A Good Human Being...✍

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शुक्रवार, 26 मई 2017

अधूरी कहानी - 4: एक लव्य




अक्षर अनाथ आश्रम में आने वाले बच्चों के बारे में हम, इस बारे में ज्यादा सवाल करना उचित नहीं समझते की वो किन परिस्थियों में यहां आया है हम समझते हैं ...... क्योंकि यहां सभी उन्ही परिस्तियों का हिस्सा रहे हैं 

मैं निकेतन अनाथ आश्रम में डॉ था, पढ़ लिख कर वहीँ पर सेवा करना मेरा कर्तव्य था जो मैने निभाया...... डॉ बनने के बाद बहुत सारे मामले आते-जाते रहे,कभी-कभी तो छोटे-छोटे बच्चों को भयानक स्थितियों में आश्रम लाया जाता, उपचार करके उनको वहीं रख लिया जाता .....  कुछ दर्दनाक मौतें और कुछ हंसी के पल जो बाहर की दुनिया पर निर्भर रहते....यही आश्रम की जिंदगी थी... इसी जिंदगी का एक वाकया जो मुझे कई बार बेचैन करता है.....

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तेरे मेरे बीच का रिश्ता






तेरे मेरे बीच का रिश्ता, एक सिर्फ तेरे तोड़ने से कभी ना टूट पायेगा


तू मुझसे रूठ सकता हैं, पर मेरा दिल, तुझसे 
ना बीते हुए कल में, ना आज,ना आने वाले कल में कभी रूठ पायेगा

तू दर्द दे मंजूर होगा मुझे, पर आँखों से मेरी अपनी तस्वीर ना तू 7 जन्मों में भी छीन पायेगा

अरे तेरी दिल्लगी की नहीं अब तो तेरी बेवफाई की कायल हो चुकी हूँ 
मैं देखना चाहती हूँ तू कितनी सिद्दत से इसे निभा पायेगा
और किस हद तक मुझे जीते जी मिट्टी में मिला पायेगा......?

Wrt By Ritika Samadhiya.... Please Try To Be A Good Human Being.....✍




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गुरुवार, 25 मई 2017

अस्तित्व ....एक नास्तिक की कलम से


एक नास्तिक की कलम से   ......... 

मैं जानता हूं 
तेरा अस्तित्व है एक मज़बूरी 
अगर तू है, तो दुनिया है अधूरी 
अगर नहीं, तो दुनिया नहीं पूरी। 

मैं तुझे समझ न पाया, या 
तू मुझे समझ न पाया 
तूने मुझे बनाया या मैंने तुझे 
यही भेद, ना तू ना मैं समझ पाया। 

तेरा न होकर भी होना है जरूरी 
इन्सानी फितूर, है एक मज़बूरी। 

By: Subhash Verma

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बुधवार, 24 मई 2017

खूबसूरती



खूबसूरत तो तू है नहीं 
खूबसूरती तुझसे बनी 
खूबसूरती तुझसे ही है 

तू ही है खूबसूरती

खूबसूरती  तेरी  आँखों  में  है 
खूबसूरती तेरी बातो   में  है 
क्या मैं  भी खूबसूरत हु 

कहती मुझे तू अपनी मुस्कुराहट है


खूबसूरती  भी  आँखों  से  है 
खूबसूरती की कदर भी 
चाहू यही ये खूबसूरती
देखा करू ता जिंदगी



By: Satish Sikhwal



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मंगलवार, 23 मई 2017

वक्त




चाँद ले गया निशा का साथ तो सुबह की लाली है खिलखिलाई
और आज फिर ना जाने क्यूँ दिल में एक बात है आई
हर चीज वक्त वक्त पे है भायी,फिर चाहें वह पहर हो या हो जीवन के पहलुओं की अगुवाई
तो फिर क्यूँ इंसान को इतनी जल्दी हैं जब मिलें ना कुछ भी बिन वक्त के पहले चाहे खूब कर लो जतनों से मिलाई
जैसे निशा नहीं रुकती संध्या के आने पर, ना ही झुकती जाने पर 
जैसे सुबह नहीं अकडती सूरज चढ़ आने पर, ना ही मचलती ढल जाने पर 
बैसे ही कुछ नहीं निकलता और ना ही टिकता नसीबों में लिखा-ना-लिखा हाँथ समाने पर...............पर छाप नहीं छूटती यहां तुम्हारी यूँ पाने के पीछे जीवन बिताने पर....अगर चाहत हो छवि पाने की और खुद को मर कर भी जीवंत बनाने की तो बस जिन्दगानी के दो मीठे बोल मिलेंगें तुम्हें यहाँ तुम्हारे चले जाने पर सो बांटों तुम लोगों में प्रेम की मिठाई छोड़ दो दुनिया की कड़वाहट जो बदले में ऊगलने को तुम में हैं समायी।


Written By: Ritika Samadhiya..... Please Try To Be A Good Human Being......✍

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सोमवार, 22 मई 2017

मुझे याद है...



जब मैंने उसे पहली बार कॉलेज में देखा था तब वो कॉलेज के फर्स्टइयर के कोरीडोर में खड़ी हुई थी उसके बाल बिखरे हुए थे एक हलके से परेशान होने वाले भाव उसके चेहरे पर दिखाई दे रहे थे...

वो अपनी नयी सहेलियों को क्लास के बाहर आवाज देकर बुला रही थी, और मै उसे देख रहा था। तब से ही वो मेरे मन को भा गयी थी... पता नहीं शायद ये पहली नजर का प्यार था या नए कॉलेज में गर्लफ्रैंड बनाने का शौक। सच कहूँ... तो उसने उसी दिन से मेरे दिल में जगह बना ली थी।
मेने उससे फेसबुक के जरीये  बात करने का सोच लिया था, पर मेने सीधे तौर पर उससे बात करना सही नहीं समझा और मेने अपनी कॉलेज की एक नयी दोस्त जो उसकी भी सहेली थी मैंने उसकी मदद लेना चाही। मेने उसे तुम्हारे बारे में बताया, मेने सोचा शायद वो किसी बहाने से मेरी उससे बात करा देगी पर उसने शायद मेरे मंसूबो को कुछ ज्यादा ही मिर्च मसाला लगाकर उसे बता दिया। हालाकिं जब उसकी तरफ से नेगेटिव रेसपोंस आने लगे, और मेरे दोस्त ने भी मुझे उसका पीछा छोड़ने के लिए समझाया तो मेने भी कुछ ना करना ही ठीक समझा.. पर कही न कही तो मन में उसके लिए जगह थी... काफी समय बीत गया था शायद उसके विचार अब मेरे प्रति बदलने लगे थे यही सोचकर मेने फिर से फेसबुक पर उसे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज दी... इस बार उसने मेरी फ्रेंड रिक्वेस्ट को फेसबुक और अपनी जिंदगी दोनों जगह एक्सेप्ट कर ली। अब तक तो हम काफी अच्छे दोस्त बन चुके थे। अब, उसकी बातो से मेरा उसकी ओर आकर्षण बड़ रहा था, वो वाकई में मुझे उसके व्यवहार से भी अच्छी लगने लगी थी, पर कभी कभी उसके कुछ व्यवहार और मेरी परेशानियो की वजह से तंग आकर मेने तुम्हे फेसबुक से उनफ्रैंड कर दिया।

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सिग्नेचर डे...

हमारे कॉलेज के आखिरी दिनों में से वो एक दिन, जिसमे सभी लोग एक दूसरे की शर्ट पर मन की कुछ बाते लिखते है...

सभी लोग एक दूसरे को उनकी शर्ट पर कुछ बातें लिखकर अपनी यादें लिखकर देने की कोशिश कर रहे थे, पर में उसे देख रहा था... वो सफ़ेद टी शर्ट में, आँखों में काजल लगाये हुए थी, उसके बाल उसकी जो खुले हुए थे, उसकी आँखों पर आ रहे थे... सच में  कितनी खूबसूरत लग रही थी वो, पर आज उसकी आँखे मुझसे कुछ कहना चाह रही थी, और में उन पड़ने की कोशिश कर रहा था.. पर ये इतना भी आसान नहीं था, हम दोनों इक दुसरे देख रहे थे मगर जाहिर नहीं होने दे रहे थे। में भी बहुत कुछ उससे कहना चाहता था, मगर मैं भी अपने आप को रोका हुआ था, यदि उस समय सबके सामने उससे बात करता तो शायद उसे पसंद भी ना आता, लोग काफी बाते बनाते सो अलग... हालाँकि मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है की लोग क्या कहते है.. पर उसे तो फर्क पड़ता है.. और में उससे बात भी क्या करता, उसे सब कुछ तो पता है मेरे मन की बात, पर फिर भी वो यदि नहीं समझती है तो ज्यादा कहना भी कुछ ठीक नहीं। खैर अब सभी लोग सिग्नेचर डे मना चुके थे और में भी घर को निकलने ही वाला था, अपने मन में इक्छा जरूर थी की वो भी कुछ लिखे मेरी शर्ट पर, पर कोई जबरदस्ती भी नहीं थी...। घर को निकल ही रहा था की सामने मेरी बहन और एक दोस्त बैठे थे.. में उनके पास गया.. तभी पीछे से एक आवाज आई "आप आपका बैग हटाओगे? मुझे कुछ लिखना है....।"

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वो वक्त


ना मैंने तुझे देखा है

न मैंने तुझे सुना है
जाने क्यों तू लागती है मुझे अपनी सी
तुझे मैंने जीवन साथी समझा है
लगी तुझसे कोई प्रीत है
मन से मन का कोई मीत है

वो वक्त भी मुझे याद है
जब तू आया कराती थी रातों में
समय बिताते थे साथ में
तेरी बातों पर मुस्कुराया करता था मै
उस मुस्कान को माँ से छिपाया करता था मै

ना जाने फिर तू कहा खो गयी
मेरी जिंदगी अधूरी सी हो गयी
उन रातो को याद किया करता था मैं
फिर उन बातों पर मुस्कुराया करता था मैं

लेकिन फिर से मेरी जिंदगी में आयी तू
साथ में कुछ और लायी तू
टूटी हुई उम्मीद थी मेरी तेरे साथ
क्यों की किसी और की होकर आई तू


By: neer chourasiya...✍

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रविवार, 21 मई 2017

आईना







कहते हैं आईना झूठ नहीं बोलता,

फिर क्यूँ मेरे दर्द के भेद ये नहीं खोलता।

सुनते हैं हर शिकन को आईना बराबर हैं तोलता,
फिर क्यूँ मेरी झूठी मुस्कान पे इसकी तराजू का पलड़ा भारी होने से स्वंय को रोकता।

मानते हैं खूबसूरत की खूबसूरती और बदसूरत की बदसूरती का सच आईना है बिखेरता,
फिर क्यूँ फरेबी को फरेब और ईमानदार को ईमानदारी का हक दिलवाने पे ये पानी की तरह खुद को नहीं घोलता।


जानते है आईना मूक होकर भी सब कुछ दिखाने को हर घड़ी हैं वाट जोवता (इंतजार करना),
फिर क्यूँ पारदर्शिता में ही अपने जीवन को हैं ये झोंकता, 
क्यूँ नहीं ये अंदरूनी क्रीड़ाओं के राज दुनिया के सामने उगलने को ओदता(आतुर)।


Written By:  Ritika Samadhiya..... Please Try To Be A Good Human Being.........✍

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Poet's View: सब कर रहा हूँ।

Poet's View: सब कर रहा हूँ।: "सब कर रहा हूँ" के बीच, "क्या कर रहा हूँ?" का ख़्याल आना ही, मेरे "किये हुए" पर एक सवाल है... य...
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"साईंनाथ महाराज"





"साईंनाथ महाराज"
जिनकी कृपादृष्टि करे भक्तों की खुशियों का आगाज
चाहें ज्वाला उगले धरती,चाहें बरसायें अंगारे आसमान, 
हर परिस्तिथी में राखें सदा अपने दासों की लाज
इनकी पूजा बड़ी सरल,इनकी प्रसन्नता के ना कोई खास काज
ये हैं मेरे प्रिय साईंनाथ जिनकी चाहत उनके अनुयायियों का हों उद्धार भरा समाज।

Written By:  Ritika Samadhiya..... Please Try To Be A Good Human Being.....✍



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बुधवार, 17 मई 2017

मेरे मन की : उड़ती चिड़िया और मैं

मेरे मन की : उड़ती चिड़िया और मैं: उड़ती चिड़िया को ओझल होते देखा... पलक झपकने का मौका नहीं देती और जा पहुँचती है शून्य में शून्य छोड़कर .... उदास मन लेकर अनंत में ताकती रह...
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फितूर-ए-इश्क़ : Do Lafz | Infinite Love

फितूर-ए-इश्क़ : Do Lafz | Infinite Love: तेरे आने की खबर से , ये दिल मचलता है , कैसे संभाले इस दिल को , ये इश्क़ में हर रोज़ बहकता है , यूँ तो छुपा लेता हूँ हँसी में...
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फितूर-ए-इश्क़ : Hatheli Pe Chaand | Infinite Love

फितूर-ए-इश्क़ : Hatheli Pe Chaand | Infinite Love: ज़मीं को चूमने की हसरत में , जब शाख़ से कोई पत्ता टूटेगा , जब फ़िर किसी के इंतज़ार में , किसी शाम सूरज तनहा ही डूबेगा , जब रुल...
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फितूर-ए-इश्क़ : Nazaara | Afeemi Pyaar

फितूर-ए-इश्क़ : Nazaara | Afeemi Pyaar: रब से तुझे दुआ में मांग लूँ , मुझे कोई टूटता सितारा मिल जाये , लब कब से सवाल में है , मुझे तेरी आँखों का इशारा मिल जाये , ...
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मंगलवार, 16 मई 2017

विश्व की प्रमुख भाषाओं में हिन्दी का स्थान -डॉ. रामजीलाल जांगिड

लेखक- डॉ. रामजीलाल जांगिड
विश्व भर में बोलचाल के लिए लगभग 3,500 भाषाओं और बोलियों का प्रयोग किया जाता है, किंतु एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य तक लिखकर बात पहुँचाने में इनमें से 500 से अधिक भाषाओं या बोलियों का इस्तेमाल नहीं होता। मौखिक और लिखित दोनों प्रकार के संचार के लिए काम आने आने वाली भाषाओं में से लगभग 16 भाषाएँ ऐसी हैं, जिनका व्यवहार 5 करोड़ से अधिक लोग करते हैं। विश्व की ये 16 प्रमुख भाषाएँ हैं: अरबीअंग्रेजी, इतालवी, उर्दू, चीनी परिवार की भाषाएँ, जर्मन, जापानी, तमिलतेलुगु, पुर्तग़ाली, फ्रांसीसी, बांगला, मलय-बहासा (भाषा), रूसी, स्पेनी और हिन्दी

यह गौरव की बात है कि भारत ही ऐसा एकमात्र देश है, जिसकी पाँच भाषाएँ विश्व की 16 प्रमुख भाषाओं की सूची में शामिल हैं। भारतीय भाषाएँ बोलने वाले व्यक्ति भारत सहित 137 देशों में फैले हुए हैं। लेकिन यह दु:ख की बात है कि इस सूची में शामिल भारतीय भाषाओं में प्रमुख हिन्दी का व्यवहार करने वालों की प्रामाणिक संख्या अब तक नहीं जानी जा सकी है।.........

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गुरुवार, 11 मई 2017

रोशनी के झीने धागे : वक़्त और मैं...एक नज़्म

रोशनी के झीने धागे : वक़्त और मैं...एक नज़्म: वक़्त और मैं... वक़्त की आंच पर उबलता हूँ, भाप लो चलता-फिरता अलाव हूँ, हाथ ताप लो | सपने दिखाता  है, खुद तोड़ भी देता है  पर रखे पु...
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रोशनी के झीने धागे : पिता

रोशनी के झीने धागे : पिता: नए साल पर पहली पोस्ट पिता  को समर्पित ... आशा है आप सभी इस से जुड़ पाएंगे                                     पिता   मेरी ...
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रोशनी के झीने धागे : मनीआर्डर

रोशनी के झीने धागे : मनीआर्डर:                                                                                मनीआर्डर नोट :- कहानी १९८० के आस-पास घटित होती है | ...
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शुक्रवार, 5 मई 2017

हिंदी साहित्यकार-हिन्दी लेखक, हिंदी कवि | Hindi Poets, Writers

हिंदी साहित्यकार-हिन्दी लेखक, हिंदी कवि | Hindi Poets, Writers
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Storyline: अधुरापन

Storyline: अधुरापन: जिंदगी में एक अधूरापन तब आता है जब हमें ये कहने का बहाना मिलता है की "मुझे तो मौका ही नहीं मिला" और फिर उन अधूरे सपनों को कि...
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Storyline: राजीव रंजन :- द डार्क स्पॉट

Storyline: राजीव रंजन :- द डार्क स्पॉट: "सपनों का शहर"  ....दिल्ली , जहां हर व्यक्ति आँखों में एक सपना लिए बैठा है, जहां हर व्यक्ति अपने सपनों पर गर्व करता है , यकीन ...
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