सोमवार, 3 जुलाई 2017

पापा



बाहर से है सख्त दिल मे बहोत नरमी है

कंधो पे चढके जिनके जिंदगी शुरू की है

वो ऊचाई जिंदगी मे ना दोबारा मिलती है

वो पापा ही तो है जिनमे मेरी जान बसती है। 
सब गलतिया हमारी कभी वो छिपाते नही है
छिपा कर के अपना प्यार जमकर बरस जाते है
वो शख्स जिसकी डांट सबसे ज्यादा असर करती है

वो पापा ही तो है जिनमे मेरी जान बसती है। 


जिंदगी मे उनकी कोई अपनी ख्वाहिश ना होती है

हमसे ही शुरू होकर खत्म हम पर हो जाती है

हमारी ही हंसी मे जिसको अपने गम की दवा मिलती है

वो पापा ही तो है जिनमे मेरी जान बसती है। 

जो लिखे ना गये कही नियमो मे जिंदगी बंधी है
थक कर रूकना तो उनकी फितरत मे ही नही है
चेहरे पर शिकन उनके फिर भी नही दिखती है
वो पापा ही तो है जिनमे मेरी जान बसती है



- Anupama verma

                                

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