शनिवार, 8 जुलाई 2017

अधूरी

कई जन्मों से अधूरी हूँ
धड़कनों को लिए धूमती हूँ
तेरी तलाश में लोक परलोक घूमती हूँ


जानती हूँ इतना आसान नहीं है तेरा मिलना
इसलिए कई जन्मों को लिए घूमती हूँ


मेरी साँसों में है तेरी साँसों की महक
तेरी महक लिए जंगल जंगल घूमती हूँ


तू मुझ में समाया हुआ है
इस बात से अनजान
मै तेरे लिए दर दर घूमती हूँ


तू हवा में घुला है
मै तुझे जर्रे जर्रे में ढूँढती हूँ।



- Geetanjali Girwal



Hit Like If You Like The Post.....


Share On Google.....

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

your Comment will encourage us......

ब्लॉग आर्काइव

Popular Posts