"नैनो को न पढ़ सके कोय,जो पढ़ लेवे इनकी जुवान,
ते पंडित नाही प्रियतम होय"
नैनो की अदा कुछ इस तरह निराली है
कि, ये शातिराना अंदाज में ठगते भी है,
और ठगने वालों से बड़ी होशियारी से बचते भी है ये।
नैना मायूसी के साथ टक-टकी लगाकर निहारते भी है,
और कटुता के साथ टक-टकी लगा कर घूरते भी हैं ये।
नैनों गुस्ताखी भी करते है,
और नाफ़रमानी भी करते है ये।
नैना सादगी रखकर चंचलता भी करते है,
और खूबसूरती रखकर चालांकी भी करते है ये।
नैना हस्ते हुए भी रोते है,
और रोते हुए भी हस्ते है ये।
नैना खामोश रहकर भी सबकुछ कहते है,
और सबकुछ कह कर भी खामोश रहते है ये।
नैना अंजान होकर भी सब समझते है,
और सब समझकर भी अनजान बनते है ये।
नैना ख्वाबो में खो कर भी जीवंत होते है,
और जीवंत होकर भी खुद को खयालो में खोते है ये।
नैना न चाहकर हर शख्स को परखते भी है,
और चाह कर किसी की खातिर लूटने से भी नहीं खुद को बख्शते है ये।
नैना खुद को अश्रु रूपी सागर में डुबोये भी रहते है,
और खुद में विशाल सागर को सँजोये भी रहते हैं ये।
नैना इलतजाओं को ईशारों-इशारों में मंजूर भी करते है,
और एक ईशारे में उन्हें नामंजूर भी करते है ये।
नैनो से छुपे हर राज जाहिर भी होते है,
और हर राज छुपाने में माहिर भी होते है ये।
नैना बातों-बातों में 100 सवाल कर लेते है,
इनकी कोई भाषा नहीं फिर भी हर भाषा में बात कर लेते है ये।
मदमस्त हो जाये अगर ये नैना तो नाचीजों पर भी मेहरबान हो पड़ते है,
और खफा हो जाये तो जिगरी यारों पर भी कहर बनकर बरस पड़ते है ये।
Written By Ritika {Preeti} Samadhiya... Please Try To Be A Good Human Being....✍
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