रविवार, 27 अगस्त 2017

बादल

बूंद : आँसू , बादल : दिल ,धरती : जीवन , आसमान : दुनिया , सितारे : लोग 

बादलों को समेट , एक बूँद धरती पर आ गिरी, 
बिखेर दी खुश्बू धरती ने , और आसमान से जा मिली 
हवा चहकी, धरती महकी, बादल की सुर सुरीली
पर आसमान की काली हस्ती, पहचान खुद की ना मिली

फिर समेट बूँद को सीने मे, बादल ने गर्जना छोड़ दिया
धरती कैसी, अंबर कैसा, बादल ने जलना छोड़ दिया
दबा दर्द को सीने मे, बादल ने टहलना छोड़ दिया
हवा ठहरी, धरती सहमी, समय ने रास्ता मोड़ दिया

देख दशा ये धरती की, बादल ने फिर शोर किया 
बह गया हर बूँद मे, बस, दर्द सीने मे छोड़ दिया
खोकर खुद को, सीना धरा का सींच दिया
आसमान की काली हस्ती, देख बादल  ने मौन किया

दर्द दबा था सीने मे, बादल ने कुछ गौर किया
हवा बहके, धरती महके, फिर क्यूँ आसमान मे शोर किया
लाखों सितारे हैं आसमान मे, क्यूँ हर एक पर गौर किया
हो खुश्बू मेरे आँगन की, क्यूँ धरा पर ज़ुल्म-ज़ोर किया
आसमान की काली हस्ती, देख बदल ने, दर्द सिने का डोल दिया

सुभाष वर्मा 


Hit Like If You Like The Post.....


Share On Google.....

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

your Comment will encourage us......

ब्लॉग आर्काइव

Popular Posts