है हर ओर भ्रष्टाचार, भला क्या कर लोगे
तुम कुछ ईमानदार, भला क्या कर लोगे ?
दूध में मिला है पानी या पानी में मिला दूध
करके खूब सोच-विचार, भला क्या कर लोगे ?
ईमान की बात करना नासमझी मानते लोग
सब बन बैठे समझदार, भला क्या कर लोगे ?
विकास की नैया फंसी पड़ी स्वार्थ के भंवर में
नामुमकिन है बेड़ा पार,भला क्या कर लोगे ?
इंसाफ के नाम पर बस तारीख पर तारीख
है लंबा बहुत इंतजार, भला क्या कर लोगे ?
फोड़ लोगे सर अपना मार-मार कर दीवारों पर
चलो, छोड़ो, बैठो यार, भला क्या कर लोगे ?
डॉ. शैलेश शुक्ला, दोणिमलै टाउनशिप , बेल्लारी, कर्नाटक
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