रविवार, 3 सितंबर 2017

किस्मत बेगुनाह है



महज ख्वाब ना देखा कर
बेशक आगे थोडा धीरे चल
उम्मीद दूसरो से रख कर
दीवानो वाला हाल ना कर
गर हारा भी है तू चलकर
कहाँ कमी रह गयी पता कर
यूँ पागलपन की हद मत कर
किस्मत बेगुनाह है शक मत कर

मंजिल को जाती दिशा पकड
यहाँ कांटे है पांव संभल कर रख
फिर गिरे जब ठोकर खाकर
खूद ही अपना तू हौसला बन
गर संभल ना पाया तू गिर कर
कहाँ कमी रह गयी पता कर
यूँ पागलपन की हद मत कर
किस्मत बेगुनाह है शक मत कर

कोरा कागज मानकर चल
क्या लिखना है फिर निश्चित कर
तुझे सपने दे कोई और आकर 
तू उससे पहले ही बुनकर रख
गर ना हुआ पूरा फिर कोशिश पर
कहाँ कमी रह गयी पता कर
यूँ पागलपन की हद मत कर
किस्मत बेगुनाह है शक मत कर

 #Anupama_verma

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