बहुत ही कठिन होता है जवाब देना जब कोई पूछता है की आप लेखक क्यूँ हैं या लिखना क्यों पसंद करते हैं। जवाब देना और अधिक कठिन हो जाता है जब मैं खुद से पूछता हूं की
“मैं लेखक क्यूं हूं ?”
“यह मेरी इच्छा है या विकल्प ?”
फिर मैं खुद से पूछता हूं की एक लेखक के पास क्या होता है ?
कलम और विचारों की स्वतंत्रता।
यही विचारों की सवतंत्रता ही किसी भी लेखक को विशिष्ट बनाती है। लेखक अपने आप में विशिष्ट होता है क्यूंकि वह एक कलाकार है, शब्दों को पिरोकर एक मोतियों की माला तैयार करता है।
वह सिर्फ शब्दों का कलाकार ही नहीं वह सच बोलने का साहस भी रखता है, समाज का आईना बनकर समाज का मार्गदर्शक भी करता है। लेखक को सिर्फ शब्दों का सौदागर नहीं कहा सकता।
मुंशी प्रेमचंद जी के अनुसार “लेखक समाज की हाँ में हाँ मिलाने मिलाने वाला निष्क्रिय पदार्थ नहीं होता, उसका अपना व्यक्तित्व होता है और वह अपने विशिष्ट दृष्टिकोण से समाजिक समस्याओं पर विचार करता है। “
इसलिए लेखक को सिर्फ लेखन तक ही सीमित नहीं माना जा सकता; वह इससे कहीं ज्यादा होता है, लेखन उसके लिए एक माध्यम है और यह माध्यम समुद्र की तरह इतना विशाल है की इसका किनारा भी दिखाई नहीं पड़ता। इसी समुद्र में कलम रूपी नाव लेकर निकले नाविक को ही लेखक कहा जा सकता है।
मेरे लिए :
“लेखन एक ऐसी कला है जहां मैं खुद को चुनौती दे सकता हूं, हर बार मैं कुछ नया कर सकता हूं।” - सारथी
नित नए सपने और हद से आगे जाने का जुनून …लेखन ही है जो ये सब करने की आजादी देता है।
जहां मैं पल भर में आसमान से परे जा कर खुद को महसूस कर सकता हूं।
जहां मेरे सोचने, समझने और लिखने पर कोई पाबन्दी नहीं है।
जहां मैं हर बार कुछ नया कर सकता हूं।
लेखक होना अपने आप में सम्पूर्ण होना (लेखक के लिए ) है जहां उसके ख्वाबों की दुनिया आँखों के सामने होती है। यह सबके लिए अलग - अलग हो सकता है, मगर , दुनिया सामने वह एक विशिष्ट व्यक्ति ही होता है। आपका विकल्प आपको एक सम्पूर्ण एहसास नहीं दे सकता, आपकी इच्छा या वैकल्पिक इच्छा ही आपके सम्पूर्ण एहसास का कारण हो सकती है।
एक लेखक की दिनचर्या के कुछ हिस्से मैं आपके सामने रखता हूँ जिन्हें सर्व सहमति से स्वीकारा जाता है।
एक लेखक उन क्षणों में भी सोचता है जब वह अपने आपको व्यस्त महसूस करता है।
हर बातचीत, हर दृश्य, हर अहसास उसके दिमाग को सोचने के लिए कच्चा माल है।
एक लेखक अपने आप को नितांत अकेला महसूस करता है, ऐसा करके ही वह विचारों को कलमबद्ध कर पाता है।
लेखक अक्सर खुद से बातें करते हैं। विशिष्ट लोगों में ऐसे गुण देखे जाते हैं।
नोट: यह लेख सिर्फ लेखकों को जानने और प्रेरित करने के लिए लिखा गया है, जो मेरे व्यक्तिगत विचार हैं इसलिए वैचारिक सहमति जरूरी नहीं है। आपके सुझावों का इंतज़ार रहेगा।
Hit Like If You Like The Post.....
Share On Google.....
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
your Comment will encourage us......