बुधवार, 22 अप्रैल 2020

क्या आप विचारशील पाठक हैं ? पढ़ें .......





ये वो समय है जब आप अपने सारे कार्यों, चिंताओं से दूर रहकर वह कर सकते हैं जो आप जीवन में करना चाहते हैं।

"इस लॉक डाउन के बाद अगर आप पहले से  बेहतर होकर बाहर नहीं निकलते हैं तो इसका मलतब होगा की आपके पास अनुशासन की कमी है , समय की नहीं।": सारथी  

    एक  अनुशासन हीन मनुष्य को उतना ही मिलता है जितना की अनुशासित मनुष्य छोड़ता है। अनुशासन के साथ जीवन के बढ़ते क्रम में "किताबें", आपके दिमाग को विकसित करने का सबसे बेहतरीन तरीका होता है।

चलिए। .....  यहां है कुछ बेहतरीन किताबें हैं जो आप इस समय अपने मोबाइल , लैपटॉप या टैब पर घर बैठे पढ़ सकते हैं।


दस्तावेज़ : मूल्य : 125 
        हिंदी साहित्य के इतिहास निर्माता पूर्वज साहित्यकारों पर समय-समय पर लिखे गए मेरे आलोचनात्मक निबंधों का संग्रह है। हिंदी साहित्य में कई महान साहित्यकार हैं जिन्हें इन निबंधों में याद किया गया है। इनके अनुभव एवं ज्ञान की खोज खबर मैंने की है। पूर्वज साहित्यकारों की संचित ज्ञान-राशि आज हिंदी साहित्य का अमूल्य धरोहर है।

कोरोना: एक आर्थिक छद्म विश्व युद्ध (Hindi Edition): मूल्य : ₹59 


    अगर आप कोरोना से जुडी जानकारियाँ और जुड़े कुछ खतरनाक पहलुओं के बारे में जानना चाहते हैं तो ये आपके लिए एक बेहतरीन किताब होगी जो आपको आश्चर्यचकित करे देगी। 
    इसमें लेखक, चीन की आगामी रणनीति के बारे में आगाह करता है, जिसके दम पर चीन विश्व क्र्म में खुद को स्थापित करने के सपने देख  रहा है। 

रागदरबारी : मूल्य : 163
    रागदरबारी जैसे कालजयी उपन्यास के रचयिता श्रीलाल शुक्ल हिंदी के वरिष्ठ और विशिष्ट कथाकार हैं। उनकी कलम जिस निस्संग व्यंग्यात्मकता से समकालीन सामाजिक यथार्थ को परत-दर-परत उघाड़ती रही है, पहला पड़ाव उसे और अधिक ऊँचाई सौंपता है। श्रीलाल शुक्ल ने अपने इस नए उपन्यास को राज-मजदूरों, मिस्त्रियों, ठेकेदारों, इंजीनियरों और शिक्षित बेरोजगारों के जीवन पर केेंद्रित किया है और उन्हें एक सूत्र में पिरोए रखने के लिए एक दिलचस्प कथाफलक की रचना की है।

कीकर और कमेड़ी : मूल्य :99 
    कीकर और कमेड़ी’ सात कहानियों का संग्रह है। हर कहानी अपने आप में एक दुनिया है। इस दुनिया में समलैंगिकता जैसा संवेदनशील मुद्दा भी है और मानव मन की जटिल ऊहापोह भी। लेखिका की सहज और बेबाक अभिव्यक्ति इस किताब को और भी ख़ास बनाती है। पात्रों के दुःख, सुख, उनकी उदासियाँ, उनका प्रेम पाठकों को परिचित सा लगता है।

अलबेला : 79  
    प्रकृति का एक नियम है कि जब भी कोई परिवर्तन होता है, तो इसका असर, प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सब पर पड़ता है।
हिमयुग में, जब बर्फ पिघल कर, प्रकृति का नया रूप दिखा रही थी, तब मनुष्य के दिमाग की सोयी परतें भी एक-एक कर खुलने लगी।
ये कहानी आदियुग के उसी चरण की अनकही दास्तान है, जिसकी हर घटना के साथ, समय भी अपनी करवट बदलता रहा।
आदिकाल के मनुष्य ने अब जवाब तलाशनें शुरू किये, अपने मस्तिष्क में उफनते अजीबो-गरीब सवालों के।


कोई अन्य किताब जो अपने पढ़ी है और आप अन्य पाठकों को पढ़ने की सिफारिश करते हैं तो हमें कमेंट में बताएं। 





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