सोमवार, 23 अप्रैल 2018

इस हरियाणे मैं, के मरोड़ सै।

खड़ी बोली, अर ऊँची नाक 
दिल का थोड़ा कठोर सै। 
रिडक - झिड़क कै, भिड़कै  मरज्या 
न्यू बाताँ का सा तोड़ सै। 
न्यूए ना बुज्झै कोए 
इस हरियाणे मैं, के मरोड़ सै। 

खाली बस्ते अर फौजी दस्ते 
खेलां का गठजोड़ सै। 
हांस कै बतलाले, तो जान तै  प्यारे 
ना तो, सांसा का भी तोड़ सै। 
न्यूए ना बुज्झै कोए 
इस हरियाणे मैं, के मरोड़ सै। 

धरती खोद सोना उगादे 
काम का पूरा खोर सै। 
चालै  गोली, तो सीना अड़ादे
न्यू , बॉर्डर पै भी शोर सै 
न्यूए ना बुज्झै कोए 
इस हरियाणे मैं, के मरोड़ सै।  

दूध दही ओर टिंडी घी 
पशुधन का जोर सै। 
असली धन तै, युवा म्हारे 
जिनकी, अंतरिक्ष तक दौड़ सै।  
न्यूए ना बुज्झै कोए 
इस हरियाणे मैं, के मरोड़ सै 

     -   सुभाष वर्मा 

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