सोमवार, 9 मई 2022

एक बार मैं कहीं जा रहा था


एक बार मैं कहीं जा रहा था--
खुशियों के दरिया से मानो गमों के समंदर में मैं आ रहा था जिन तकलीफों को कम आंका था मैंने--
अब उन्हीं मुसीबतों में मैं एकाएक समा रहा था 
एक बार मैं कहीं जा रहा था।

जरा ठहरा देखने को
कि कितनी दूरी आखिर मेरे कदमों में ढांकी है 
और फासला अभी और कितना बाकी है--
आंखों में था सैलाब मेरी सांसो में हौसलों का दरिया था--
टूटना तो था ही इक दिन--
तोड़ने वाला तो बस एक जरिया था 
बस यूं ही खुद ही खुद की मुसीबत बनकर 
खुद ही खुद पर मैं जुल्म ढा रहा था--
एक बार में कहीं जा रहा था।---

जरा चलते-चलते थक कर बैठ गया 
और पूछा खुद से की आखिर तेरा क्या इरादा है--
बादशाहत है मंजिल तेरी या तू भी बस एक प्यादा है 
माना दिया गम खुदा ने सबकी जिंदगी में लेकिन 
दर्द फिर भी तेरा ही ज्यादा है--
बस यूं ही चलते चलते मैं अपने दुखड़े गा रहा था 
एक बार मैं कहीं जा रहा था।--

अब बस यूं ही ये रेत सा ये वक्त मेरी मुट्ठी से फिसलता जा रहा है--
अंतहीन सा ये रास्ता बस यूं ही आगे चलता जा रहा है
फर्क है तो बस इतना सा कि किसी के हैं कंधे हल्के तो किसी के ऊपर वज़न बहुत भारी है--
और कहां ढूंढू में अंत इस सफर का यह सफर मेरा अब भी जारी है।--
 ~ यस पाठक


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सोमवार, 2 मई 2022

" हिन्दी का मायका हिन्दुस्तान "

 - डाँ . सुरेन्द्र दत्त सेमल्टी

राष्ट्र  धरोहर   हिन्दी  है  जो ,
लगती  बड़ी  मनोहर  है ओ ।

बहुत  पुरानी  है  यह  भाषा ,
इस पर टिकी सबकी आशा ।

इतिहास  है   सुदीर्घ  इसका ,
ज्ञान नहीं है सबको जिसका ।

साहित्य की  विविध  विधायें ,
इस  भाषा  को  पढ़कर पायें ।

माँ  की  ममता  होती  जैसी ,
यह  भाषा भी लेती  वैसी  !

मिठास  इसमें  जैसी शक्कर ,
सब भाषाओं से लेती टक्कर  !

बड़ी सरल है  सब अपनाओ ,
इसका यश  जग में  फैलाओ ।

बतलाते कठिन  इसको कुछ  ,
लगता  उनकी बुद्धि  है तुच्छ ।

यह  लिखने-पढ़ने में आसान ,
इसे अपना कर  समझें  शान ।

हिन्दी का मायका हिन्दुस्तान ,
सब जन करें इसका सम्मान ।

वैज्ञानिक गुणों से यह भरपूर ,
और भाषायें सब चकना चूर ।

देवनागरी   लिपि   है  इसकी ,
तुलना नहीं किसी से जिसकी ।

हिन्दी  में  बना  है   संविधान ,
मिलकर  बढा़यें  इसका मान ।

सजती  माथे पर  ज्यों बिन्दी ,
विश्व में  छायेगी  भाषा हिन्दी ।

गर्व है  हमको  इस  भाषा पर ,
करें  प्रतिज्ञा  अपनायेगा   हर ।

स्वर-व्यंजन की इसमें सुविधा ,
किसी तरह की नहीं है दुविधा ।

हिन्दी भाषा  रही  सदा महान ,
सद्गुणों  की   है   यह   खान ।

इस भाषा में बोलें-लिखें सभी ,
विकास  पथ  पर  बढ़ेंगे  तभी ।

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ग्राम/पो. पुजार गाँव ( चन्द्र वदनी )
द्वारा - हिण्डोला खाल
जिला - टिहरी गढ़वाल -249122 ( उत्तराखण्ड )
मोवाईल नंबर - 9690450659
ई मेल आईडी -
dr.surendraduttsemalty@gmail.com


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" बचपन के दिन "

~ डॉ.सुरेन्द्र दत्त सेमल्टी

ओ भी  क्या दिन थे बचपन के ,
आज  मुझे  बहुत  हैं  ओ भाते !
चाहता भूलना पर भूल न पाता ,
पल - पल  याद  सभी हैं  आते ।। 1 ।।

कभी  रूठना  -  गुस्सा  करना ,
हँसना - रोना  और   चिल्लाना ।
पापाजी  ने  यदि  डाँट  लगाई ,
गोदी मे  मम्मी की  छुप जाना ।। 2 ।।

इच्छा से पढ़ना खेलना कूदना ,
छुपकर के खूब मौज  मनाना ।
पकड़े  गये  रंगे हाथ जो यदि ,
बहाने   तरह  -  तरह  बनाना ।। 3 ।।

साथियों के संग झगड़ा करना ,
तो कभी  मिल  एक हो जाना ।
सर-मैडम यदि आवाज लगादें ,
डरकर के  चुपचाप  हो  जाना ।। 4 ।।

नजर बचाकर  नटखट  करना ,
हम  सबको   खूब  था   भाता ।
कोई शिकायत  करता था जब ,
तब  मैं तो था  बहुत  घबराता ।। 5 ।।

पढ़-लिख तब जीवन तरासना ,
लगता था पहाड़ सा अतिभारी ।
लेकिन  उसी  तप के प्रतिफल ,
सफलतायें मिली  हमें ये सारी ।।6 ।।

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मोथरोवाला , फाइरिंग रेंज ( सैनिक कॉलोनी )
लेन नंबर - 3 , फेज - 2
निकट - महालक्ष्मी हार्डवेयर
देहरादून - 248115 ( उत्तराखंड )
मोबाईल नंबर - 9690450659
ईमेल आईडी -
dr.surendraduttsemalty@gmail.com


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