मनुष्य हमेशा से प्रगतिशील रहा है और अपने विकास के लिए ऐसे बहुत से कार्य किये है जिससे उसका भविष्य और उज्वल हो। उसने विज्ञान के माध्यम से बहुत कुछ पाया है,परन्तु कुछ प्रश्न ऐसे भी है जिनका उत्तर देना अभी विज्ञान के लिए असंभव है। जिन प्रश्नो का हमें वैज्ञानिक तरीके से उत्तर नहीं मिल पाता उन्हें हम कहते है ये हो ही नहीं सकता या फिर भगवान के ऊपर छोड़ देते है। आज एक ऐसी ही कहानी आप सबके सामने रख रहा हूँ जिसे विज्ञान कभी स्वीकार नहीं करेगा।
आज से करीब दस साल पहले हमारे गांव में प्रधानी का चुनाव हुआ था। सभी को इंतज़ार था की परिणाम कब आएगा परन्तु अभी कुछ दिन का समय था। गाँव में कई तरह के समूह बँटे हुए थे जो की अपने-अपने ढंग से संभावित परिणामों की विवेचना करने में जुटे हुए थे। कोई कहता था, अरे साधु जी जीतेंगे, उन्होंने बहुत से सामाजिक कार्य किये है। कोई कहता, “नहीं - नहीं, साधु जी नहीं जीत पाएंगे, क्योंकि सरजू ने बहुत सारा पैसा खर्चा किया है, महिलाओ में साड़िया भी बाँटी है, वही जीतेगा।” कोई कहता, अरे भाई ये क्यों भूल रहे हो कि खरभन ने तो सबको बहुत खिलाया पिलाया है हो सकता है वही जीते।
जितने मुँह, उतनी बातें। कोई भी एक निश्चित निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पा रहा था पर इन सब से अलग एक और समूह था जो की अलग ढंग से जानना चाहता था कि कौन जीतेगा ? इसके लिए एक तरीका अपनाया। उन्होंने एक तांत्रिक को बुलवाया।
गर्मियों का मौसम था। सुबह के करीब दस बज रहे होंगे, खटिया बिछाई गयी और उसपर एक दो सम्मानित लोग बैठे, तांत्रिक वहीं ज़मीन पर बैठा जहाँ ढेर सारी धूल उसके लिए किसी चटाई का काम कर रही थी। नीम के पेड़ के पत्ते झड़ चुके थे और जो टहनियां बची थी केवल उनकी ही छाया थी। मन की उत्सुकता और जानने की व्याकुलता बरबस ही आठ दस महिलाओ, बच्चों को वहां पर खींच लायी थी।
मैं भी थोड़ी दूर से यह सब देख रहा था। एक व्यक्ति ने खटिया से नीचे झुककर धूल को अच्छे से साफ किया और उस साफ जगह पर तीन चार गोले बनाकर सब गोलों से रेखा खींच दी और अपनी तरफ उम्मीदवारों के नाम लिख दिए और उस तांत्रिक से बोले अब बताओ कौन जीतेगा। तांत्रिक जोर- जोर से कुछ बड़बड़ाया और दो मिनट के बाद उसने किसी एक गोले पर अपनी अंगुली रखी और कहा की यह जीतेगा।
उस व्यक्ति ने उम्मीदवारों के नाम बदल दिए और फिर से बताने को कहा, तांत्रिक फिर से बड़बड़ाया और एक गोले पर हाथ रखा। यही क्रिया चार-पाँच बार दोहराई गयी और फिर पता चला की ये उम्मीदवार जीतेगा। तांत्रिक हर बार सिर्फ एक उम्मीदवार को जिताकर वहां से चला गया।
अब सबको इंतज़ार था परिणाम का और उस तांत्रिक की बताई बात को परखने का। छह दिनों के बाद परिणाम आया और वही उम्मीदवार जीता जिसको तांत्रिक ने बताया था।
अब आप कहेंगे की ऐसा हो सकता है की तांत्रिक ने नाम पढ़ लिए होंगे पर इसकी कोई गुंजाईश ही नहीं थी क्योंकि वह अनपढ़ था। यहाँ पर यह भी हो सकता है की चार पांच बार एक ही आदमी का नाम आना संयोग भी हो सकता है।
लेखक: भीम सिंह राही
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