शुक्रवार, 5 अक्टूबर 2018

पुस्तक समीक्षा :- दीपक तले उजाला


पुस्तक समीक्षा
कृति:- दीपक तले उजाला
पृष्ठ:-94
मूल्य:-100/-
समीक्षक:- राजेश कुमार शर्मा"पुरोहित"
*शिक्षक एवम साहित्यकार*
    लखनऊ की कवयित्री उर्मिला श्रीवास्तव की यह आंठवी कृति "दीपक तले उजाला" पढ़ी। इस कृति की सभी कविताएँ मानव को कुछ न कुछ सीख देती है। इस कृति की पहली काव्य रचना चार घड़ी है। यह जीवन क्षण भंगुर है। जीवन कब तक है किसी को पता नहीं। यह सच्चाई हमेशा याद रहे। ये मानव तन मिलना दुर्लभ है। यदि मिला है तो इसमें अच्छे कर्म करें। बदला,अनकही ,खुद सर,36 की गिनती जैसी रचनाओं से श्रीवास्तव ने जीवन की अच्छाइयों को बताने का प्रयास किया है।

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