#1 बनारस टॉकीज
बनारस टॉकीज़ साल 2015 का सबसे ज़्यादा चर्चित हिंदी उपन्यास है। साल 2016 और 2017 में भी ख़ूब पढ़े जाने का बल बनाए हुए है। सत्य व्यास का लिखा यह उपन्यास काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के छात्रावासीय जीवन का जो रेखाचित्र खींचता है वो हिंदी उपन्यास लेखन में पहले कभी देखने को नहीं मिला। इस किताब की भाषा में वही औघड़पन तथा बनरासपन है जो इस शहर के जीवन में। सत्य व्यास 'नई वाली हिंदी’ के सर्वाधिक लोकप्रिय लेखक हैं।
#2 दिल्ली दरबार
दिल्ली दरबार छोटे शहरों के युवाओं के दिल्ली प्रवास, प्रेम, प्रयास और परेशानियों की एक प्रहसनात्मक कहानी है। यह लापरवाह इश्क से जिम्मेदार प्रेम की परिणति तक की एक खुशहाल यात्रा है। यह कहानी दरअसल उन लाखों युवाओं के जीवनशैली की भी है जो बेहतर जिंदगी और भविष्य की संभावनाओं के लिए दिल्ली जैसे महानगर का रास्ता लेते हैं। मनोरंजक ढंग से कही गई इस कहानी के केंद्र में टेक्नो गीक 'राहुल मिश्रा' है; जिसका मंत्र है 'सफलता का हमेशा एक छोटा रास्ता है' और विडंबना यह है कि वह इस बात को अपने ही सनकी तरीके से सही साबित भी करता जाता है।कहानी परिधि की भी है जो पूर्वी दिल्ली की एक ठेठ लड़की है और राहुल को लेकर भविष्य तलाश रही है। मूलतः ‘दिल्ली दरबार’ दिल्ली की नहीं, बल्कि दिल्ली में कहानी है जो चलते-चलते प्रेम, विश्वास, दोस्ती और 'जीवन' के अर्थ खोजती जाती है।
#3 मसाला चाय
Lekhak:
मसाला चाय’ की कहानियाँ आपकी ज़िन्दगी जैसी हैं। कभी थोड़ा ख़ुश, कभी थोड़ा उदास तो कभी दोस्तों के साथ ख़ुशियों जैसे तो कभी सबसे नज़र बचाकर आँसू बहाती हुईं। मसाला चाय को पढ़ना ऐसे ही है जैसे अपने कॉलेज की कैंटीन में सालों बाद जाकर दोस्तों के साथ चाय पीते हुए गप्पे मारना। अगर आप हिन्दी पढ़ना शुरू करना चाहते हैं तो यह किताब आपकी पहली किताब हो सकती है। बिल्कुल बोलचाल की भाषा में लिखी हुई किताब। आपको पढ़ते हुए ऐसा लगेगा जैसे लेखक जैसे लेखक कहानियाँ पढ़कर सुना रहा है। वैधानिक चेतावनी: मसाला चाय जिसको अच्छी लगती है उसको उसको बहुत अच्छी लगती है जिसको बुरी उसको बहुत बुरी।
#4 यूपी 65
बेस्ट सेलिंग किताबों ‘नमक स्वादानुसार’ और ‘ज़िंदगी आइस पाइस’ के लेखक निखिल सचान का पहला उपन्यास। उपन्यास की पृष्ठभूमि में आइआइटी बीएचयू (IIT BHU) और बनारस है, वहाँ की मस्ती है, बीएचयू के विद्यार्थी, अध्यापक और उनका औघड़पन है। समकालीन परिवेश में बुनी कथा एक इंजीनियर के इश्क़, शिक्षा-व्यवस्था से उसके मोहभंग और अपनी राह ख़ुद बनाने का ताना-बाना बुनती है। यह हिंदी में बिलकुल नये तेवर का उपन्यास है, जो आपको अपनी ज़िंदगी के सबसे सुंदर सालों में वापस ले जाएगा, आपको आपके भीतर के बनारस से मिलाएगा। इस उम्मीद में कि बनारस हम सबके भीतर बना रहे, हम अलमस्त, औघड़ रहें और बे-इंतहा हँस सकें।
#5 नमक स्वादानुसार
नमक स्वदंसुष बचपन की कल्पनाओं से लेकर मानव अस्तित्व के अंधेरे की खोज करने वाली कहानियों का संग्रह, कहानियां जो आपको उदासीन कर देगा, वह आपकी कहानी बताएगा, जो आपको और उनको झटका देगा, जो आपको अपने पसंदीदा स्थानों पर ले जाएगा।
#6 जिंदगी आस पास
लघु कथा संग्रह, निखिल की दूसरी पुस्तक है, जिसने अपनी पहली पुस्तक 'नमक स्वदानुसार' की उल्लेखनीय सफलता के बाद किया है। इस पुस्तक में, निखिल अपने पाठकों को एक ऐसी यात्रा के लिए ले जा रही है जो बुनियादी मानव अस्तित्व की पहेलियों को हल करने की कोशिश करता है
#7 बनारस वाला इश्क़
किताब 'बनारस वाला इश्क' दो अलग-अलग विचारधाराओं से आ रही एक जोड़ी के बारे में है- जयश्री राम और लाल सलाम। लेखक महाविद्यालय की राजनीति के चारों ओर की कहानी और प्रेम के साथ-साथ कष्टों में खिलते हैं। मुख्य पात्रों के माध्यम से बबून मिश्रा बिहार के गया जिला और उना ठाकुरैन बैठक के आसपास बनारस के सोनल सिंह से टकराव और जुदाई दिखाए गए हैं। कहानी के लेखक प्रभात बांधतल्या बिहार से हैं और किताब, इसलिए, बिहारी माटी को प्रतिबिंबित करती है।
#8 बकर पुराण
'बकर पुराण' उन सभी स्नातक लड़कों का एक आधुनिक दिन है जो अपने घरों को बेहतर भविष्य की अपेक्षा के लिए छोड़ देते हैं और बंबई और दिल्ली जैसे बड़े शहरों में रहते हैं, केवल शहरों को अपने घर बनाने के लिए। यह किताब उन सभी लोगों को समर्पित है, जो एक बार प्यार में गिर गईं, बेवकूफ काम करती हैं और पड़ोस के चाय-स्टालों पर चाय के कप पर देश के विदेशी मामलों पर चर्चा करने में कभी नाकाम रही हैं। स्पष्ट और सटीक शब्दों में लिखा हुआ और फैंसी नहीं, यह पुस्तक पिछले, भविष्य और इस स्नातक की उपस्थिति पर प्रकाश डाला जाता है जिसका जीवन हमेशा के लिए समान होगा।
#9 डोमनिक की वापसी
विवेक मिश्र के इस उपन्यास के केंद्र में एक नाटक है- 'डॉमनिक की वापसी'। इस नाटक के मुख्य किरदार 'डॉमनिक' की भूमिका निभाने वाला अभिनेता है दीपांश जो नियति और यथार्थ के बीच झूलता अपना सफ़र तय करता आगे बढ़ता है और उस समय रंगमंच की दुनिया छोड़ कर दृश्य से गायब हो जाता है जब एक अभिनेता के रूप में वह वो मक़ाम हासिल कर चुका होता है जो उस दुनिया किसी भी कलाकार के लिए एक सपना होता है। यह उपन्यास जीवन में अभिनय और अभिनय में जीवन के दो किनारों के बीच अतीत, वर्तमान और भविष्य के कई किस्सों में झांकता हुआ आगे बढ़ता है। कथानक में प्रेम पर केंद्रित नाटक सफल होता है पर नाटक के बाहर जीवन में प्रेम छीजता और चुकता जाता है। विवेक मिश्र के लेखन में सघन जीवनानुभव, पुख्ता अध्यन और विषय में गहरी संलग्नता स्पष्ट दिखाई देती है। यह उपन्यास भी प्रेम, मानवीय संबंध, कला और जीवन को समझता, समझाता आगे बढ़ता है। उपन्यास न केवल अपने कथानक में अनूठा है बल्कि भाषा, शैली और कहन के भी कई प्रयोगों के अपने में समेटे एक नए प्रकार का शिल्प गढ़ता दिखाई देता है। यह उपन्यास न केवल हमें वर्तमान लेखन के प्रति आश्वस्त करता है बल्कि भविष्य के लिए एक उम्मीद भी जगाता है। विवेक की ही भाषा में कहें तो 'अच्छे समय में कलाएं हममें और बुरे समय में हम कलाओं में जीते हैं'। यह उपन्यास निर्णायकों द्वारा देश भर से 50से ऊपर आई पांडुलिपियों में से एक 'आर्य स्मृति सम्मान' के लिए चुना गया है। आशा है यह न केवल विवेक मिश्र के लेखन में बल्कि हिंदी उपन्यास विधा में भी एक मील का पत्थर साबित होगा।
#10 मुसाफिर कैफ़े
हम सभी की जिंदगी में एक लिस्ट होती है। हमारे सपनों की लिस्ट, छोटी-मोटी खुशियों की लिस्ट। सुधा की जिंदगी में भी एक ऐसी ही लिस्ट थी। हम सभी अपनी सपनों की लिस्ट को पूरा करते-करते लाइफ गुज़ार देते हैं। जब सुधा अपनी लिस्ट पूरी करते हुए लाइफ़ की तरफ़ पहुँच रही थी तब तक चंदर 30 साल का होने तक वो सबकुछ कर चुका था जो कर लेना चाहिए था। तीन बार प्यार कर चुका था, एक बार वो सच्चा वाला, एक बार टाइम पास वाला और एक बार लिव-इन वाला। वो एक पर्फेक्ट लाइफ चाहता था।
मुसाफिर Cafe कहानी है सुधा की, चंदर की, उन सारे लोगों की जो अपनी विश लिस्ट पूरी करते हुए perfect लाइफ खोजने के लिए भटक रहे हैं।
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