गुरुवार, 29 अक्टूबर 2020

बावळी बूच


बावळी बूच क़िताब कल मुझे प्राप्त हुई थी और आज पूरी पढ़ ली हैं। कारण सिर्फ लेखन शैली। यह इस तरह की एकमात्र किताब है जो इस विषय पर इतने बेहतर तरीके से लिखी गई है। लेखक के बारे में जानने कि इच्छा हुई तो पता चला कि साहब पेशे से पत्रकार है तो ऐसा बेहतरीन लेखन अपेक्षित था।

लेखक सुनील जी ने मीडिया के अनछुए पहलुओं पर ठीक ऐसे ही ध्यान आकर्षित किया है जैसे मुखर्जी नगर के कोचिंग सेंटरों के लिए ‘डार्क हॉर्स में नीलोत्पल ने किया.

व्यंग्यो में हरीशंकर परसाई जी का प्रभाव काफ़ी दिखायी दिया.

इस किताब ने कई किताबों की याद दिलायी जैसे शुरू में डार्क हॉर्स की, बीच में लगा की अन्तक का हाल औघड के बिरंचिया जैसा हो जाएगा, आख़िर में लगा कि अन्तक कहीं कार्पोरेट की बिपाशा बसु जैसा ना बना दिया जाए. पर नहीं ये मेरे दिमाग की कोरी कल्पना ही साबित हुई.

लेखक ने जिस तरह से अपनी लेखनी का जादू बिखेरा कि अन्त तक पाठक को सस्पेंस बना रहता है और कई बार ऐसा लगता है की ये अपनी ही कहानी हैं.

लेखन कला देखकर लगता हैं कि सुनील जी लम्बी रेस के घोड़े साबित होंगे।

ये किताब आपको कहीं भी निराश नहीं करेगी

कुछ वाक्य पुस्तक से जिनके प्रसंग मन को मोह लेंगे.

१.घास के गोदाम में सुई जैसा काम है मीडिया में क़ाबिल पत्रकार इंसान खोजना.

२.दरसल हम पत्रकार नहीं, कलाकार हैं.

३.बाक़ी बिज़नेस का पता नहीं परंतु मीडिया में कोई किसी का सगा नही.

४. पत्रकारिता नाम की चिड़िया मात्र अफ़वाह है.

५.देश में भ्रष्टाचार बेरोज़गारी के सवाल दहाड़ दहाड़कर खड़े करने वाले न्यूज़ चैनलों का खुद का सिस्टम अमरीश पुरी के मोगेम्बो साम्राज्य से कम नही.

६. इतनी मेहनत अपने खेत में किए होते तो सोना उगा लेते .

७.कोशिश ही कामयाब होती है, वादे अक्सर टूट जाया करते हैं.

किताब नयापन और अद्भुत लेखन शैली लिए हुए है. पाठकों के लिए बावळी बूच एक अवसर की तरह है, देर किए बगैर पढ़ डालिए।

https://www.amazon.in/dp/9387464938


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बुधवार, 14 अक्टूबर 2020

भंवरजाल का मल्लाह !!!


पुस्तक समीक्षा



पुस्तक: भंवरजाल का मल्लाह

लेखक: बिन्नी आरजे 


बिन्नी आरजे द्वारा लिखी गई रहस्य सागर सीरीज की यह पहली नॉवेल है।


अगर आपको हैरी पॉटर जैसी यानी हैरतअंगेज और रहस्यमयी कहानियां पसंद है तो यह पुस्तक आपके लिए है।

    विज्ञान और अध्यात्म का बखूबी मिश्रण लिए यह कहानी है महारानी अरिहा नीलकमल एक मां के प्यार की, आमेट त्रिक्ष और सरांग के निश्छल प्रेम की...यह कहानी रहस्यो से भरी भूत और वर्तमान घटनाओं का सुंदर समावेश लिए हुए आपको हर मोड़ पर रोमांचित करती है। इसकी एक झलक देखिए...

    "बार बार अपनी मन की शक्तियों से खुद को स्वस्थ कर चुके पुण्या की ऊर्जा कुछ कम हो गयी थी, वो जमीन पर थका पड़ा हुआ सत्या से हाँफते हुए कहता है। ... 

    इस बार सुरक्षा कवच का निर्माण कहीं अधिक मजबूत करियेगा। अभी हमें उत्तर से दक्षिण की और टेलीपोट होते कईं लोगो ने देख लिया। हमारी वास्तविकता वर्तमान में उजागर हो यह ठीक नहीं। "

    इस पुस्तक की सबसे बड़ी खासियत है इसकी रिसर्च और हर अध्याय से जुड़े कलर पेजेस जो हर अध्याय को और भी ज्यादा रोमांचक बनाता है।

    लेखिका ने कथानक और चरित्र चित्रण बहुत अच्छे से किया है। हर पात्र कुछ कहता है, चाहे वो पुण्या हो, सत्या हो या फिर लाल नीली आंखों वाला आतरये पहेली। कई बार पढ़ते समय खुद को वहां महसूस करने लग जाना, लेखिका की कामयाबी बयान करता है। इसके लिए वो बधाई की पात्र है।

उनकी भाषा शैली में भी तत्सम शब्दों के साथ आधुनिक शब्दों का भी गजब मिश्रण देखने को मिलता है। जैसे

"शायद ठंड की पराकाष्ठा थी या फिर अंतहीन दर्द की--- पर आज ये आँखों से लुढ़क ही गया-- और बंजर रेगिस्तान सा कर गया सदा के लिए अरिहा के भूरे नयनों को--- पर उसके आँसू के उस आखिरी कतरे में सब्र की शीतलता थी, जिस से कहीं मिलों दूर धधकती ज्वालामुखी के लावे को पल भर के लिए ठंडक नसीब हो गया।"

"एक शापित राजकुमारी के जीवन में सच्चा प्यार लिए दस्तक देता है,एक राजकुमार। दोनो अपने गमो को दरिया में बहा अपनी खुशियों में खो जाते है,लेकिन उनकी गम की पोटली से एक दिन एक जादूगर पहेली वापस लौट आता है,उनकी जिंदगियों की हर खुशी को निगलने के लिए..."

बिन्नी जी ने इस विषय पर काफी मेहनत की है। और पाठकों को  हर पन्ने पर चौकाने की पूरी कोशिश की है। यह एक सकारात्मक सोच की किताब है। और खासियत यह है कि यह हर आयु वर्ग के लिए है।

इसे हर किसी को एक बार जरूर पढ़ना चाहिए।



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